पटना : मुन्ना शर्मा / लखनऊ : विक्रम राव
जातिगत जनगणना का मामला हो या पिछले वर्ष लागू कृषि कानून का मसला, दोनों मुद्दों पर वैचारिक मतभेद के बावजूद जनता दल (यूनाइटेड) यूपी विधानसभा का चुनाव भाजपा के साथ ही मिलकर लड़ सकती है. कितनी सीटों पर दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन होगा, यह सब दोनों दल के आलाकमान तय करेंगे. इसी बीच पटना में जदयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि बीजेपी ने गठबंधन नहीं किया तो जदयू यूपी विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी. आपको बता दें कि गठबंधन करने को लेकर अभी ललन सिंह की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ प्रारम्भिक दौर की बातचीत हो चुकी है. दोनों दलों के आलाकमान के बीच हुई बातचीत के आधार पर ही जदयू ने तैयारी शुरू कर दी है. फ़िलहाल बिहार में छोटे भाई बने नीतीश कुमार की पार्टी जदयू अब बिहार से बाहर भी पार्टी के विस्तार की रणनीति पर काम कर रही है.
चुनाव लड़ने के लिए सम्भावित प्रत्याशियों के लिस्ट भेजने का निर्देश
इधर जदयू के राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रदेश इकाई से पार्टी की जनाधार वाली सीटों की सूची के साथ-साथ उस पर चुनाव लड़ने के इच्छुक पार्टी पदाधिकारियों व सदस्यों की सूची मांगी है. राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रदेश इकाई से यह भी कहा है कि जिन सीटों पर जदयू चुनाव लड़ना चाहती है, वहां के जातीय समीकरणों के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर पार्टी की पकड़ और सम्भावित प्रत्याशियों की छवि के बारे में भी अभी से पूरी रिपोर्ट भेजें. बिहार से लगे यूपी के सीमावर्ती जिलों या सीटों पर क्या बिहार में पार्टी की सरकार का कोई प्रभाव है ? अगर है तो क्या वहां के मुद्दे जैसे शराबबन्दी, महिला आरक्षण, अति पिछड़ा आयोग व महादलित आयोग का गठन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को यूपी में भी लागू करने की घोषणा का पार्टी को लाभ मिल सकता है ?
बिहार सीमा से लगे करीब 65 से 70 सीटों पर नीतीश कुमार का प्रभाव
उत्तर प्रदेश के जदयू अध्यक्ष अनूप सिंह पटेल ने कहा कि बिहार सीमा से लगे करीब 65 से 70 सीटों पर हमारी स्थिति बहुत अच्छी है. यहाँ के लोग बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन से खासे प्रभावित हैं और चाहते हैं कि पड़ोसी राज्य बिहार की तरह ही यूपी में भी पूर्ण शराबबन्दी होनी चाहिए और वहां की तरह यहां भी महिलाओं को आरक्षण व अधिकार हासिल होनी चाहिए. यूपी में नीतीश कुमार से जुड़े जाति कोइरी-कुर्मी का अच्छा खासा प्रभाव है. कई सीटों को प्रभावित करती है. संभावना है कि इन सीटों पर जदयू अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी. बिहार से बाहर मणिपुर और उत्तर प्रदेश ,पंजाब में चुनाव लड़ने का लगभग फैसला कर चुकी है.