न्यूज़ डेस्क
पेगासस जासूसी कांड को लेकर विपक्ष के गतिरोध की वजह से मानसून सत्र में संसद के बाधित होने के कारण जनता के 133 करोड़ से ज्यादा रुपए बर्बाद हुए हैं. सरकार से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी. 19 जुलाई को शुरू हुए संसद सत्र के पहले दिन से विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर चर्चा और सुप्रीम कोर्ट के जज के नेतृत्व में स्वतंत्र जांच की मांग कर रही हैं. विपक्षी पार्टियां उस रिपोर्ट का हवाला देकर सरकार पर निशाना साध रही हैं, कि इजरायली स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके सरकार विपक्षी नेताओं, जजों, मंत्रियों और अन्यों के फोन हैक कर रही है.
राज्यसभा में अब तक महज 11 घंटे का काम हुआ है
राज्यसभा की कार्यवाही पहले दो सप्ताहों में तय समय का सिर्फ करीब 21.60 प्रतिशत ही चल सकी और दूसरे सप्ताह में यह आंकड़ा 13.70 प्रतिशत का रहा. कुल 50 कार्य घंटों में से 39 घंटे 52 मिनट हंगामे की भेंट चढ़ गए. पहले दो सप्ताहों में नौ बैठकों के दौरान उच्च सदन में केवल एक घंटे 38 मिनट का प्रश्नकाल ही हो सका. चार विधेयकों को पारित करने के लिए केवल एक घंटे 24 मिनट का विधायी कार्य हो सका. हंगामे के चलते सदन में केवल एक मिनट का शून्यकाल हुआ और चार मिनट का विशेष उल्लेख हुआ.
लोकसभा में मौजूदा सत्र में सिर्फ 7 घंटे का कामकाज हुआ है
मानसून सत्र की शुरुआत 19 जुलाई से हुई थी. सरकार को उम्मीद थी कि इस बार के सत्र में अहम मुद्दों पर चर्चा के साथ-साथ कई बिल भी पास हो जाएंगे, लेकिन विपक्ष के हंगामे के चलते संसद का कामकाज लगभग ठप पड़ा है. अब तक दोनों सदनों में कुल मिलाकर सिर्फ 18 घंटे का कामकाज़ हुआ है, जबकि इस दौरान संसद की कार्यवाही करीब 107 घंटे चल सकती थी. लिहाज़ा एक अनुमान के मुताबिक देश के खज़ाने को 133 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. लोकसभा में मौजूदा सत्र के दौरान सिर्फ 7 घंटे का कामकाज हुआ है, जबकि यहां 19 जुलाई से लेकर अब तक करीब 54 घंटे तक का काम हो सकता था. उधर ऊपरी सदन यानी राज्यसभा में भी अब तक महज 11 घंटे का काम हुआ है. जबकि यहां भी करीब 53 घंटे की कार्यवाही हो सकती थी. यानी हिसाब लगाया जाय तो दोनों सदनों में कुल मिलाकर अब तक कुल 89 घंटे की बर्बादी हुई है.
पीएम मोदी ने विपक्ष से की थी सहयोग की अपील
संसद सत्र से पहले पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों और राजनीतिक दलों से संसद के मानसून सत्र में सरकार से सबसे तीखे और कठिन सवाल पूछने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा था कि सरकार को भी जवाब देने की अनुमति दी जानी चाहिए. मोदी ने कहा था,
‘मैं सभी सांसदों और राजनीतिक दलों से सबसे तीखे और कठिन सवाल पूछने का आग्रह करता हूं, लेकिन उन्हें सरकार को सौहार्दपूर्ण माहौल में जवाब देने की अनुमति देनी चाहिए क्योंकि लोगों को सच्चाई बताकर लोकतंत्र को मजबूत किया जाता है.’
