न्यूज डेस्क
JDU की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सांसद ललन सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है. केन्द्र सरकार में मंत्री बनने के बाद आरसीपी सिंह को अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा. दिल्ली में हुई इस बैठक में नीतीश कुमार भी मौजूद थे. पूर्व में ललन सिंह बिहार में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वर्तमान में वो मुंगेर से सांसद हैं. नीतीश कुमार ने समीकरण को ध्यान में रखते हुए भूमिहार जाति से आनेवाले ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की बागडोर सौंपी है. आपको बता दें कि ललन सिंह और आरसीपी सिंह दोनों केन्द्र में मंत्री बनने वाले थे, केवल आरसीपी को जगह मिली थी, ललन सिंह को अब पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेवारी दी है.
JDU की इस बैठक में में एक व्यक्ति एक पद सिद्धांत के आधार पर राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है. इसके साथ ही बैठक में अगले साल होने जा रहे पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव लड़ने को लेकर भी विचार हुआ. जातिगत जनगणना को लेकर भी चर्चा हुई. पार्टी उत्तरप्रदेश, उत्तरखंड, पंजाब , मणिपुर, गोवा में विधानसभा चुनाव में उतरने का संकेत दे चुकी है.
मीटिंग में इन मुद्दों पर चर्चा हुई
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में देश के कई मुद्दों पर पार्टी के संगठन पर भी विमर्श हुआ. सदस्यता अभियान को गति दिए जाने और सदस्यता अभियान के रोडमैप पर चर्चा हुई. यह भी तय हुआ कि निकट भविष्य में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव है वहां पार्टी का क्या स्टैंड रहेगा. पार्टी खासकर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना तलाश रही है. बिहार और केंद्र में अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा से तालमेल के लिए जदयू ने पहले ही कोशिशें शुरू कर दी थीं. अगर तालमेल नहीं हो पाता है तो पार्टी अकेले चुनाव लड़ने की संभावना पर भी विचार करेगी.
JDU में ललन सिंह के सामने ये चुनौतियां होंगी
आपको बता दें कि गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड विधानसभाओं का कार्यकाल मार्च 2022 में समाप्त होगा. वहीं, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) विधानसभा का कार्यकाल अगले साल मई तक चलेगा. इन प्रदेशों में जदयू अपनी उपस्थिति दर्ज करने के मूड में है. बंगाल चुनाव में जदयू ने अपना कैंडिडेट उतारा था, लेकिन पार्टी जीरो पर आउट हो गई. दरसअल बिहार से बाहर पार्टी को कोई बड़ा नेता नहीं मिला है जो राष्ट्रीय स्तर पर एक्टिव हो. नीतीश कुमार को छोड़कर पार्टी का कोई भी नेता में दम नहीं दिखता है. सबसे बड़ी बात ये है कि दिल्ली में पार्टी को खड़ा करने वाले नेता ही नहीं है. दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष दयानन्द राय पूरी तरह व्यवसायी हैं जो पार्टी की विस्तार की बात तो दूर कार्यालय आते भी नहीं हैं. इन चुनौतियों से निपटते हुए पार्टी को विस्तार देना ललन सिंह की सबसे बड़ी चुनौती होगी.
जेडीयू 2005 से लेकर अब तक बिहार की सत्ता में है
जेडीयू की स्थापना 30 अक्टूबर, 2003 को हुई थी। अब तक पार्टी के 3 अध्यक्ष रह चुके हैं और ललन सिंह चौथे अध्यक्ष है। ललन सिंह जेडीयू के 18 साल के इतिहास में पहले सवर्ण अध्यक्ष है। इससे पहले तीनो अध्यक्ष ओबीसी से थे और माना जा रहा है कि सवर्ण जाति के ललन सिंह का अध्यक्ष पद पर चुनाव सामजिक समीकरण को साधने के लिये किया गया है।जेडीयू के पहले अध्यक्ष शरद यादव थे जो कि 2004 से 2016 तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। शरद यादव के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जेडीयू के अध्यक्ष बने और नीतीश कुमार के बाद आरसीपी सिंह को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। जेडीयू अपनी स्थापना से लेकर अब तक एनडीए के हिस्सा रही है, सिर्फ जून 2013 से लेकर अगस्त 2017 को छोड़कर।
2005 से लेकर अब तक बिहार में जेडीयू का ही मुख्यमंत्री
बिहार की सियासत में जेडीयू के साथ एक खास बात ये है कि 2005 में लालू यादव- आरजेडी के सत्ता से हटने के बाद अब तक सभी मुख्यमंत्री जेडीयू से ही रहे हैं। मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा जेडीयू से बिहार में दूसरे मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी रह चुके हैं।
जेडीयू की लोकसभा और राज्यसभा में स्थिति
मौजूदा में लोकसभा में जेडीयू के 16 और बिहार की विधानसभा में पार्टी के 43 विधायक है। राज्यसभा में जेडीयू के 5 सदस्य है। केंद्र में आरसीपी सिंह जेडीयू कोटे से एकमात्र मंत्री है।
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