दिल्ली: न्यूज़ डेस्क
भारत और चीन के मिलिट्री कमांडर्स के बीच 12वें दौर की अहम मीटिंग कल 31 जुलाई को होने जा रही है. मीटिंग के दौरान देशों के सैन्य कमांडर्स अगले दौर के डिसइंगेजमेंट पर चर्चा करेंगे. ये मीटिंग एलएसी पर चीन की तरफ मोल्डो गैरिसन में सुबह साढ़े 10 बजे शरू होगी.
सूत्रों के मुताबिक इस मीटिंग में पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) के गोगरा और हॉट स्प्रिंग जैसे विवादित इलाके से डिसइंगेजमेंट यानी सैनिकों को पीछे हटने पर बातचीत होगी. बता दें कि इसी साल जनवरी के महीने में पहले चरण के डिसइंगेजमेंट के बाद भी एलएसी पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना हुआ था.
कई इलाकों से दोनों देशों के सैनिकों को हटाया गया था
आपको बता दें कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच जो डिसइंगेजमेंट करार हुआ उसके तहत दोनों देशों की सेनाओं ने पैंगोंग त्सो लेक के उत्तर यानी फिंगर एरिया और दक्षिण में कैलाश हिल रेंज को पूरी तरह से खाली कर अपनी-अपनी सेनाओं को पीछे भेज दिया था. पहले चरण के डिसइंगेजमेंट के बाद भी पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर कई ऐसे विवादित इलाके थे, जहां दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना हुआ था. गोगरा और हॉट स्प्रिंग भी इन्हीं विवादित इलाकों का हिस्सा रहे है. पिछली मीटिंग में चीन ने पैंगोंग त्सो इलाके को छोड़कर किसी दूसरे इलाके मे विवाद होने से इनकार किया था, लेकिन इसी महीने भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक के बाद सैन्य कमांडर्स की मीटिंग पर सहमति बनी थी. इसीलिए कल होने वाली मीटिंग को काफी अहम माना जा रहा है.
लद्दाख बॉर्डर पर दोनों देशों के सैनिक अभी भी डटे हैं
चीन ने लद्दाख बॉर्डर पर पिछले साल से 15 हजार ज्यादा सैनिकों को तैनात किया हुआ है. इसी के जवाब में भारत ने भी सीमा पर 50 हजार जवानों को भेजा है. लद्दाख में बर्फ पिघलने के बाद से ही चीनी सेना लगातार अपनी सैन्य शक्ति में इजाफा कर रही है. भारत ने पिछले कुछ महीनों में चीनी सीमा से सटे तीन अलग-अलग इलाकों में सैन्य टुकड़ियों और युद्धक विमानों को तैनात किया है. ड्रैगन की विस्तारवादी नीति पर लगाम कसने और चीन सीमा पर कड़ी निगरानी के लिए भारत ने करीब दो लाख सैनिकों को तैनात कर किया है.
1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हो चुका है
भारत और चीन के बीच वर्ष 1962 में दो युद्ध हुए. फिर भी भारत ने रणनीतिक लिहाज से पाकिस्तान को ज्यादा तवज्जो दी, क्योंकि कश्मीर 1947 से ही दोनों देशों के बीच बेहद संवेदनशील मुद्दा बना रहा है. हालांकि, जब पिछले वर्ष 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने धोखे से भारतीय सैनिकों पर हमला बोल दिया था.
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