दिल्ली: विशेष संवाददाता
केंद्र में RCP सिंह के मंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार अब राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान उपेंद्र कुशवाहा को सौंपने की तैयारी में हैं. हालाँकि इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. पिछले दिनों जदयू के VIRTUALLY बैठक में RCP ने कहा था कि अगर पार्टी चाहेगी तो वे अध्यक्ष पद की कुर्सी छोड़ देंगे. अब ये तय है कि 31 जुलाई को दिल्ली में जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नया अध्यक्ष मिल जायेगा. इसकी पटकथा लिखी जा चुकी है. सूत्रों ने बताया कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य पार्टी के लिए नए अध्यक्ष का चुनाव करना है. इस पद के लिए पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा सबसे प्रबल उम्मीदवार बताए जा रहे हैं.
पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष आर सी पी सिंह को हाल ही में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में इस्पात मंत्री बनाया गया है. माना जा रहा है कि पार्टी के ‘एक व्यक्ति एक पद’ की नीति के मद्देनज़र आर सी पी सिंह अध्यक्ष का पद छोड़ेंगे, जिसके बाद नए अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी. 18 जुलाई को हुई पार्टी की एक बैठक में आर सी पी सिंह ने कहा था कि वो मंत्री और अध्यक्ष का पद एक साथ संभालने में सक्षम हैं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि अगर पार्टी उन्हें अध्यक्ष पद से हटने को कहेगी तो भी उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी.
इसी बैठक में नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा की तारीफ़ की थी जिससे उन्हें अध्यक्ष बनाए जाने की अटकलें तेज़ हैं. दरसअल कुशवाहा को अध्यक्ष बनाकर नीतीश कुमार सामाजिक समीकरण भी साधना चाहते हैं. नीतीश कुमार कुर्मी जाति से आते हैं और उपेंद्र कुशवाहा कोइरी जाति से. इन दोनों जातियों को बिहार में लव कुश के नाम से जाना जाता है, जिसकी संख्या क़रीब 8-10 फ़ीसदी मानी जाती है. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पुरानी पार्टी और ओवैसी समेत कुछ अन्य पार्टियों का गठजोड़ कर कई उम्मीदवार उतारे थे. उनमें से कुछ उम्मीदवारों ने अच्छे खासे वोट बटोरे थे, इनमें ज़्यादातर कोइरी समाज से ही आए लोग थे. उसके कुछ ही महीने बाद कुशवाहा ने अपनी पार्टी का जेडीयू में विलय कर दिया.
पिछले विधान सभा चुनाव में कम सीटें आने के बाद वर्तमान में नितीश कुमार बीजेपी के दबाव में हैं. पार्टी के जनाधार को फिर से बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री बनने के बाद खुद क्षेत्रों में गए और लोगों के मिजाज को भांपा. इसके बाद अब पांच साल बाद बंद पड़े जनता दरबार भी शुरू किया है. उपेंद्र कुशवाहा को क्षेत्र में भेजा गया है, ताकि नाराज लोगों के कारण और इसका निदान कैसे निकले इस पर काम हो. पार्टी को मजबूत करने में जुटे नीतीश कुमार पर अब अपनी साख बचाने की चुनौती है.