पटना: वरिष्ठ संवाददाता
बिहार विधान परिषद में 17 जुलाई से दलगत स्थिति बदल जाएगी. ऐसा इसलिए क्योंकि आज 16 जुलाई को 20 विधान पार्षदों का कार्यकाल खत्म हो गया है. 4 सीटें पहले से ही खाली हैं. इस तरह विधान परिषद की कुल 75 सीटों में से 24 सीटें रिक्त हो जाएंगी. हालांकि, इन सीटों पर चुनाव के लिए पंचायत इलेक्शन का इंतजार करना होगा, क्योंकि ये वो MLC हैं, जो स्थानीय निकाय से निर्वाचित होकर विधान परिषद पहुंचे थे.
20 विधान पार्षदों का कार्यकाल खत्म
16 जुलाई को जिन विधान पार्षदों का कार्यकाल खत्म हो गया है, उनमें संतोष कुमार सिंह, टुन्नाजी पांडेय, सलमान रागिब, रीना यादव, राधाचरण साह, मनोरमा देवी, राजन कुमार सिंह, सच्चिदानंद राय, बबलू गुप्ता का नाम शामिल है. दिलीप कुमार जायसवाल, संजय प्रसाद, अशोक कुमार अग्रवाल, दिनेश प्रसाद सिंह, सुबोध कुमार, हरिनारायण चौधरी, राजेश राम, नूतन सिंह, सुमन कुमार, आदित्य नारायण पांडेय और रजनीश कुमार का कार्यकाल भी पूरा हो गया.
पार्षदों के चार सीटें पहले से हैं खाली
विधान परिषद की चार सीटें पहले से खाली हैं, जिन पर चुनाव होना है, लेकिन पंचायत चुनाव में देरी की वजह से ये प्रक्रिया अभी आगे नहीं बढ़ रही है. खाली सीटों में पटना, भागलपुर-बांका, सीतामढ़ी-शिवहर और दरभंगा शामिल हैं. वहीं रिटायर हुए विधान पार्षदों में सबसे ज्यादा बीजेपी से हैं. अभी बीजेपी के 26 एमएलसी सदन में हैं, जिनमें इस कोटे से 12 विधान पार्षद हैं. हालांकि, इनके रिटायर होने के बाद सदन में बीजेपी 14 एमएलसी रह जाएंगे.
इन सीटों के लिए जरूरी है पंचायत चुनाव होना
स्थानीय प्राधिकार चुनाव में मतदाता शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के मुखिया, वार्ड सदस्य, पंचायत समिति के सदस्य, जिप सदस्य होते हैं. इसमें इलाके के लोकसभा और राज्यसभा सांसद के साथ विधायकों को भी वोट देने का अधिकार है. हालांकि, हार-जीत के फैसले में पंचायतों-नगर निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधियों का वोट ही अहम होता है. बिहार में पंचायत चुनाव सितंबर-अक्टूबर में हो सकते हैं.