देहरादून : विशेष संवाददता
उत्तराखंड में सीएम तीरथ सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद आज विधानमंडल की बैठक होगी. इसमें राज्य का नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा. नये चेहरे की तलाश करने के लिये प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की अध्यक्षता में ये बैठक होनी है. केंद्रीय पर्यवेक्षक मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और अनिल वाळुनि भी इसमें शामिल होंगे. गौरतलब है कि देर रात देहरादून में राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बेबी रानी मौर्या को तीरथ सिंह रावत ने अपना इस्तीफा सौंपा. हालांकि अगले सीएम के चुनाव तक वो कार्यवाहक सीएम बने रहेंगे. इस्तीफे के बाद तीरथ सिंह रावत ने पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा का आभार व्यक्त किया.
उत्तराखंड में बीते चार महीने से सियासी उथल पुथल तेज रही है. राज्य में चार महीने में दूसरी बार मुख्यमंत्री बदला जाएगा. अगले साल जनवरी में विधानसभा चुनाव का ऐलान होगा. विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले उप-चुनाव नहीं कराया जाएगा. उत्तराखंड में बीते कुछ घंटों में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदला है. वहीं, आज राज्य का नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा. तीन से चार नाम ऐसे हैं, जो सुर्खियों में आ गये हैं. इस बीच सूत्रों के हवाले से चार नाम सुर्खियों में है, जिन पर सबसे ज्यादा चर्चा की जा रही है. इनमें सतपाल महाराज, धन सिंह रावत, रीतू खंडूरी और पुष्कर धामी का नाम सबसे आगे है. इन्हीं में से एक को राज्य की कमान सौंपी जाएगी.ये सभी विधानसभा के सदस्य हैं और इनमें से किसी एक को चुना जाता है, तो चुनाव लड़ने की बाध्यता भी नहीं होगा. बीजेपी जिसे भी चुनेगी उसके लिये ये पैमाना जरूरी होगा. सबसे पहले वह विधानसभा का सदस्य हो ताकि किसी प्रकार का संवैधानिक संकट न खड़ा हो. साथ ही पार्टी यह भी सुनिश्चित करना चाहेगी कि चुनाव से पहले चेहरा भी ऐसा हो जिस पर सहमति आसानी से बन जाए.
हरीश रावत बोले – दोनों सीएम भले आदमी थे, भाजपा ने दोनों को चौराहे पर ला दिया
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने कहा कि दोनों टीएसआर (त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत) भले आदमी हैं, लेकिन भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने दोनों को चौराहे पर ला छोड़ा है. हरीश रावत ने कहा कि इससे बड़ा झूठ क्या हो सकता है कि कोरोना संक्रमण की वजह से उपचुनाव नहीं हो सकते और संविधानिक बाध्यता के कारण मुख्यमंत्री इस्तीफा दे रहे हैं. वास्तविकता यह है इसी कोरोनाकाल में सल्ट में भी उपचुनाव हुआ. मुख्यमंत्री वहां से भी चुनाव लड़ सकते थे. कहीं और से किसी विधायक का इस्तीफा करवाकर भी चुनाव लड़ सकते थे. कानून की पूरी जानकारी न होने और मुगालते में रहने के कारण राज्य के ऊपर एक और मुख्यमंत्री थोप दिया गया. पांच साल में भाजपा तीन मुख्यमंत्री उत्तराखंड को दे रही है.