डॉ निशा सिंह
बिहार में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। आरजेडी लगातार नीतीश कुमार सरकार पर हमलावर है। इधर नीति आयोग की SDG रिपोर्ट में पिछड़ा बिहार तो जेडीयू ने फिर उठाई विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर केंद्र सरकार के सामने गोल फेंक दिया है। बिहार से समय-समय पर विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठी है । भारत के 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा अब तक मिल चुका है। असम, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड, हिमाचलप्रदेश, सिक्किम और जम्मू-कश्मीर को अभी तक विशेष राज्य का दर्जा मिला है।
केंद्र अपने विवेक, मांग और जरूरत के अनुसार किसी भी राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने का फैसला करता है। देश में सबसे पहले 1969 में पांचवें वित्त आयोग की सिफारिश पर केंद्र ने तीन राज्यों असम, नागालैंड और जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया था। इसके बाद सात अन्य राज्यों को विशेष दर्जा मिला। 2011 में उत्तराखंड को विशेष दर्जा दिया गया है।
क्या कहते हैं उपेंद्र कुशवाहा
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के जेडीयू में विलय के बाद जेडीयू का दामन थाम चुके उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट कियाहै । इसमें उन्होंने पीएमओ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करते हुए लिखा, ‘बिहार-झारखंड विभाजन उपरांत प्राकृतिक संपदाओं का अभाव और बिहारवासियों पर प्राकृतिक आपदाओं के लगातार दंश के बावजूद नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA सरकार अपने कुशल प्रबंधन से बिहार में विकास की गति देने में लगी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आगे लिखा, ‘नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट इसका प्रमाण है। अत: विनम्र निवेदन है कि ‘बिहार को विशेष राज्य का दर्जा’ देने की जेडीयू की वर्षों से लंबित मांग पर विचार करें और बिहार वासियों को न्याय दें।’जीतनराम मांझी ने भी जदयू की मांग का समर्थन किया है। कहा है कि बिहार को विशेष दर्जा अब नहीं तो कभी नहीं।
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी ने नीतीश पर हमला बोला
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट में लिखा, ‘बधाई हो! आखिरकार 16 वर्षों की बिहारनाशक मेहनत से बिहार को नीचे से टॉप करा ही दिया।’ वही बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी इस आंकड़े के सार्वजनिक होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा।तेजस्वी ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘नीतीश कुमार जी की सत्तालोलुप अदूरदर्शी नीतियों, गलत निर्णयों और अक्षम नेतृत्व के कारण बिहार लगातार तीसरे वर्ष भी नीति आयोग की रिपोर्ट में सबसे फिसड्डी प्रदर्शन के साथ सबसे निचले पायदान पर है।’ उन्होंने आगे लिखा, ‘बीजेपी-नीतीश के 16 वर्षों के कागजी विकास का सबूत सहित यही सार, सच्चाई और असल चेहरा है।’
विशेष राज्य का दर्जा अभी तक पर्वतीय दुर्गम क्षेत्रों, सीमावर्ती, आदिवासी बहुल और ग़रीब राज्यों को ही मिलने का प्रावधान है. बिहार जैसे ग़रीब राज्यों के समावेशी विकास के लिए विशेष राज्य की मांग हाल के कुछ बरसों में काफ़ी सुर्ख़ियों में रही है.जीतनराम मांझी ने भी जदयू की मांग का समर्थन किया है। कहा है कि बिहार को विशेष दर्जा अब नहीं तो कभी नहीं। आपको बता दें कि 2010 से ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ये मांग ज़ोर से उठती रही है. केंद्र सरकार ने राजनीतिक दबाव में ग़रीब राज्यों को मिलने वाले वित्तीय प्रावधानों पर पुनर्विचार के लिए रघुराम राजन समिति गठित कर विशेषज्ञों की राय ली. यह रिपोर्ट अभी भी संसदीय सेलेक्ट कमेटी में विचाराधीन है.तात्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री चिदंबरम ने आर्थिक समीक्षा और बजट भाषण में इसका उल्लेख भी किया जिससे कुछ आशाएं भी बंधीं, किंतु कुछ राजनीतिक कारणों से यह रिपोर्ट ठंडे बस्ते में चली गई है.करीब 96 फ़ीसदी जोत सीमांत और छोटे किसानों की है. वहीं लगभग 32 फ़ीसदी परिवारों के पास ज़मीन नहीं है. बिहार के 38 ज़िलों में से लगभग 15 ज़िले बाढ़ क्षेत्र में आते हैं जहां हर साल कोसी, कमला, गंडक, महानंदा, पुनपुन, सोन, गंगा आदि नदियों की बाढ़ से करोड़ों की संपत्ति, जान-माल, आधारभूत संरचना और फसलों का नुक़सान होता है.
2010 से जदयू बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग कर रहा है
देश के आदिवासी बहुल इलाके, सीमावर्त्ती और पर्वतीय दुर्गम इलाके वाले राज्य के साथ बेहद गरीब और पिछले राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है। वर्तमान में 11 राज्यों- असम, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड, हिमाचलप्रदेश, सिक्किम और जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा हासिल है। बिहार में गरीबी और विभाजन के बाद झारखंड में सारे प्राकृतिक संसाधन चले जाने को आधार बनाकर 2010 से ही सीएम नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू बिहार के लिए विशेष दर्जा की मांग करते रहे हैं।बिहार भारत का दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला ग़रीब राज्य है, जहां अधिकांश आबादी समुचित सिंचाई के अभाव में मॉनसून, बाढ़ और सूखे के बीच निम्न उत्पादकता वाली खेती पर अपनी जीविका के लिए निर्भर है.
2018 में भी बिहार को भी विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग जोड़ पकड़ा था. इस समय विशेष राज्य का दर्जा देने के मामले को लेकर जनता दल यूनाइटेड ने टीडीपी का समर्थन किया था। फ़िलहाल टीडीपी अभी एनडीए से अलग है।
विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को मिलता यह लाभ
किसी भी राज्य को विशेष दर्जा मिलने के बाद केंद्र सरकार 90 फीसदी अनुदान के रूप में फंड देती है। शेष 10 फीसदी रकम पर कोई ब्याज नहीं लगता है। बिहार को वर्तमान में 30 फीसदी राशि अनुदान के रुप में मिलता है, शेष 70 फीसदी केंद्र का कर्ज होता है। हर साल केंद्र सरकार अपने प्लान बजट का 30 फीसदी रकम विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को देती है। इसके अलावा ऐसे राज्यों को इनकम टैक्स, एक्साइज और कस्टम में भी छूट मिलती है