वरिष्ठ संवाददाता
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए आज 22 अप्रैल से सुप्रीम कोर्ट सिर्फ जरूरी मामलों की ही सुनवाई करेगा. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एक और सर्कुलर जारी किया है जिसमें कहा गया है कि 22 अप्रैल से नियमित अदालतें नहीं बैठेंगी. कोर्ट ने 22 अप्रैल की मुकदमों की सुनवाई की जारी लिस्ट निरस्त कर दी है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के कई जज और कर्मचारी कोरोना वायरस के संक्रमित हैं.
आपको बता दें कि जस्टिस एन वी रमन्ना बतौर मुख्य न्यायधीश शुक्रवार यानी 23 अप्रैल को शपथ लेंगे, उससे पहले सभी सुप्रीम कोर्ट के जजों और उनके स्टॉफ की कोरोना की जांच हो रही है. #कोरोना निरोधक टीका लगवा चुके सुप्रीम कोर्ट के जजों की कुल संख्या में से लगभग आधे जज संक्रमण की चपेट में हैं. दो जजों को अस्पताल में दाखिल कराया गया है और बाकी जस्टिस अपने घर में ही अपना इलाज करा रहे हैं. पीठ के सभी जज अपने घरों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए वर्चुअल तौर पर ही मामलों की अब सुनवाई करेंगे.
नए सर्कुलर में कहा गया है कि एडवोकेट ऑन रिकार्ड और पार्टी इन परसन मामलों की सुनवाई के लिए एक मेंशनिंग अर्जी देंगे, जिसमें तत्काल सुनवाई का कारण बताएंगे. ऐसे मामलों मे बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका, जमानत और मृत्युदंड जैसे मामले हो सकते हैं. कोरोना से निपटने के लिए और उसका प्रसार रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ कड़े कदम भी उठाए थे. सुप्रीम कोर्ट में प्रवेश करने वालों को आरटीपीसीआर टेस्ट किया जा रहा था. पिछले कुछ दिनों में सुप्रीम कोर्ट के 40 से ज्यादा कर्मचारी पाजिटिव पाए जा चुके हैं. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एमआर शाह के सरकारी आवास के सभी कर्मचारी कोरोना जांच में पाजिटिव पाए गए है.
बता दें कि परिसर में कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद से ही सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह वर्चुअल हो गया था. सिर्फ वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये ही कोर्ट सुनवाई कर रहा है और किसी भी तरह की फिजिकल मेंशनिंग (शारीरिक रूप से उपस्थिति) आदि बंद कर दी गई है. इतना ही नहीं न्यायाधीश भी कोर्ट आने के बजाए घर से ही मुकदमों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई कर रहे हैं.