दिल्ली: कार्यालय संवाददाता
देश में कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए जीवनरक्षक कहे जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन के निर्यात पर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है. ये रोक तब तक रहेगी जब तक कि देश में कोरोना की स्थिति में सुधार नहीं आ जाता. केंद्र सरकार के मुताबिक कोरोना के केस में अचानक बढ़ोत्तरी के चलते रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत बढ़ गयी है और आगे भी इसकी जरूरत कोरोना के मरीजों के लिए पड़ेगी जिसकी वजह से निर्यात पर रोक लगाई गई है. केंद्र सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि देश में 11 लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं और इसके चलते इलाज में रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग बढ़ गई है. आने वाले दिनों में इस मांग में और इजाफा हो सकता है. ऐसे में सरकार ने भविष्य की चुनौतियों ने से निपटने के लिए इंजेक्शन के एक्सपोर्ट पर रोक का फैसला लिया है.
अभी सात भारतीय कम्पनियां रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन करती हैं. इन कंपनियों की हर महीने 38.80 लाख यूनिट्स की उत्पादन क्षमता है. सभी घरेलू मैन्युफैक्चरर्स को सलाह दी गयी है कि वो अपनी वेबसाइट पर Remdesivir injection के स्टॉक इसके डिस्ट्रीब्यूशन आदि की जानकारी डिस्प्ले करें. राज्यों के हेल्थ सचिवों को ड्रग इंस्पेक्टर के जरिये ये देखना होगा कि कहीं इसकी कालाबाजारी तो नहीं हो रही है. फार्मास्यूटिकल डिपार्टमेंट मैन्युफैक्चरर्स के सम्पर्क में है और इस बात को सुनिश्चित कर रहा है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन का प्रोडक्शन ज्यादा से ज्यादा हो. कोरोना के मरीजों पर इस इंजेक्शन को कारगर पाया गया है लेकिन जब से केस बढ़ने लगे तो इसकी भारी किल्लत होने लगी और कई राज्यों में महंगी बिकने लगी.
देश में अगले 10 दिनों में इस टीके को मिल सकती है हरी झंडी
इस साल अक्टूबर के अंत तक भारत को पांच और टीके मिल सकते हैं. इससे काफी हद तक वैक्सीन की कमी की शिकायत दूर हो सकती है. बता दें कि देश में फिलहाल कोरोना वायरस के लिए दो वैक्सीन कोविशिल्ड और कोवैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिली हुई है. इन दोनों टीकों का निर्माण भी भारत में ही हो रहा है. सूत्रों के अनुसार इस साल तीसरी तिमाही तक कोरोना वायरस के पांच और टीके भारत में हो सकते हैं. ये पांच टीके हैं- स्पूतनिक वी (डॉ रेड्डी के सहयोग से), जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन (बायोलॉजिकल ई के साथ), नोवावैक्स वैक्सीन (सीरम इंडिया के साथ मिलकर), जाइजस कैडिला का टीका और भारत बायोटेक का इंट्रानैजल वैक्सीन.
20 टीके ऐसे हैं जो कि क्लीनिकल और प्री-क्लीनिकल ट्रायल में हैं
सूत्रों ने बताया कि देश में लगभग 20 टीके ऐसे हैं जो कि क्लीनिकल और प्री-क्लीनिकल ट्रायल में हैं. इन टीकों में स्पूतनिक वी वैक्सीन पहले नंबर पर है और अगले 10 दिनों के भीतर इसके इमरजेंसी इस्तेमाल मिलने की भी संभावना है. टीके के 850 मिलियन खुराक के प्रोडक्शन के लिए स्पूतनिक वी ने देश की कई कंपनियों के साथ समझौता भी किया है.
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