डॉ. निशा सिंह
कश्मीर में चिनाब ब्रिज पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज पर आरचिंग का काम काम पूरा हुआ. यह ब्रिज उधमपुर श्रीनगर बारामुला रेल लिंक का अहम हिस्सा है. ब्रिज रेल लाइन दर्जनों पुलों और सुरंगों से होकर गुजरेगी. हालांकि कटरा से बनिहाल तक 111 km पर काम अब भी जारी है. चिनाब ब्रिज आतंकवादी हमले और बड़े भूकंप तक को झेलने की क्षमता के साथ बनाया गया है. सामरिक दृष्टि से ब्रिज का खास महत्व है. ब्रिज 359 मीटर ऊंचा है, यानी एफिल टावर से 35 मीटर ज्यादा ऊंचा है और 1315 मीटर यानी 1 किलोमीटर से ज्यादा लंबा है. आर्च का आखरी टुकड़ा जुड़ने के बाद रेलवे ने नया इतिहास रच दिया है. अब इस आर्च पर डेक तैयार किया जाएगा और फिर इसपर पटरी बिछाने का काम शुरू होगा.
चिनाब ब्रिज की खासियत
ब्रिज नदी तल से 359 मीटर ऊपर है, यानी एफिल टावर से 35 मीटर ज्यादा ऊंचा है. सीधे शब्दों में कहें तो दिल्ली के कुतुब मीनार से 5 गुना ज़्यादा ऊंचा है. ब्रिज की लंबाई 1315 मीटर है, यानी 1किलोमीटर से ज्यादा है. इसमें 28660 mt स्टील का इस्तेमाल किया गया है. यह आतंकवादी हमले और बड़े भूकंप तक को झेलने की क्षमता रखता है. यहां तक कि 266 kmph तक की तेज हवा को भी ब्रिज झेल सकता है. भीषण ठंड में भी ब्रिज पर कोई असर नहीं पड़ेगा. ब्रिज -10 से 40℃ तक के तापमान को झेल सकता है. इसपर 100 kmph की स्पीड से ट्रेनें चल सकेंगी. इसके निर्माण पर 1486 करोड़ रुपये खर्च आएगा. भले ही यह क्षेत्र उत्तर रेलवे के अन्तर्गत आता है, लेकिन इस ब्रिज का निर्माण कोंकण रेलवे करा रहा है. ख़ास बात यह भी है कि इस क्षेत्र में भारी ठंढ और बर्फबारी होती है. माना जा रहा है कि इस रूट पर केवल AC कोचेज़ वाली ट्रेन ही चलाई जा सकती है और यात्रियों को ठंढ से बचाने के लिए ट्रेन में ख़ास हीटर लगाया जाएगा.
इसे तैयार करने में कई देशों से ली गई मदद
ब्रिज के फाउंडेशन का डिज़ाइन फ़िनलैंड के सहयोग से तैयार किया गया है. आर्च बनाने में जर्मनी और स्विजरलैंड से भी मदद ली गयी है. फाउंडेशन की सुरक्षा के लिए UK और USA से तकनीकी मदद ली गयी है. इसमें भारत के तकनीकी संस्थानों IISc बंगलुरु, IIT दिल्ली और IIT रुड़की की मदद भी ली गयी है. ब्रिज़ को अगले साल मार्च तक तैयार कर लिया जाएगा और मार्च 2023 तक भारत के बाक़ी हिस्सों से कश्मीर घाटी सीधी रेल लाइन से जुड़ जाएगा. फिलहाल रेलवे की लाइन उधमपुर से कटरा और बनिहाल से बारामुला तक ट्रेन चल रही है.
चिनाब पुल से होनेवाले फायदे
रेलवे का यह पुल अपने आप में दुनिया का एक अजूबा साबित होने वाला है, क्योंकि ऐसा निर्माण दुनिया में कहीं भी नहीं हो पाया है. यह पुल चीन के बेईपैन नदी पर बने 275 मीटर ऊंचे शुईबाई रेलवे पुल का रिकॉर्ड तोड़ेगा. यानी यह भारतीय रेलवे के महत्व को दुनिया बढ़ा देगा. इंजीरियरिंग का यह नायाब नमूना इलाके में पर्यटकों के आकर्षण का एक केंद्र बन सकता है और इस पुल से राज्य के आर्थिक विकास में भी तेज़ी आएगी. लोगों और सैलानियों को ट्रांसपोर्टेशन का एक बेहतर विकल्प मिल पाएगा. चिनाब नदी का आर्च ब्रिज का इलाका दक्षिण अमरीका के एंडिज़ और यूरोप के आल्प्स पर्वत से भी ज़्यादा मुश्किलों से भरा है. इसलिए यह भारतीय रेल के लिए अब तक का सबसे चुनौतीपूर्ण प्रोजेक्ट है. इस पुल के निर्माण में 24,000 टन इस्पात का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि इस ब्रिज़ पर किसी आतंकी हमले, तूफान, मौसम का भी असर नहीं हो. 1250 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इस पुल को सुरक्षित करने के लिए डीआरडीओ के साथ मिलकर बनाया जा रहा है. ब्रिज़ को बनाने के लिए भारतीय रेल को करीब 25 किलोमीटर लंबी सड़क भी बनानी पड़ी ताकि मज़दूर और कंस्ट्रक्शन के सामान को यहां तक पहुंचाया जा सका है. शुरुआत में तो मज़दूर और इंजिनियरिंग के सामान यहां हैलिकॉप्टर से पहुंचाये जाते थे. इस पुल से महज़ 65 किलोमीटर दूर पड़ोसी देश पाकिस्तान भी मौजूद है, जिससे ब्रिज का खास महत्व हो जाता है.