न्यूज डेस्क
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 15 साल से अधिक पुराने 4 करोड़ गाडियां सड़कों चल रहे हैं, जो ग्रीन टैक्स के दायरे में आते हैं. यानी भारत की सड़कों पर कबाड़ वाली गाड़ियों का अंबार लगा है. इसमें कर्नाटक 70 लाख से अधिक पुरानी गाड़ियों के साथ शीर्ष स्थान पर है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और लक्षद्वीप को छोड़कर पूरे देश में ऐसे वाहनों के डेटा को डिजिटल कर दिया है, क्योंकि उनके रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं थे. ग्रीन टैक्स लगाने का प्रस्ताव पहले ही राज्यों को भेजा जा चुका है. आंकड़ों के अनुसार चार करोड़ से अधिक वाहन 15 वर्ष से अधिक पुराने पाए गए हैं, जिनमें 2 करोड़ से अधिक गाडियां तो 20 वर्ष से अधिक पुरानी हैं.
पुरानी गाड़ियों की राज्यवार स्थिति
70 लाख से अधिक पुरानी गाड़ियों के साथ कर्नाटक शीर्ष स्थान पर है. जबकि उत्तर प्रदेश 56.54 लाख वाहनों के साथ दूसरे स्थान पर है, जिनमें से 24.55 लाख 20 वर्ष से अधिक पुरानी गाडियां हैं. देश की राजधानी दिल्ली 49.93 लाख पर पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के मामले में तीसरे स्थान पर है, जिनमें से 35.11 लाख 20 साल से अधिक पुराने हैं. केरल में 34.64 लाख पुरानी गाडियां हैं, इसके बाद तमिलनाडु में 33.43 लाख, पंजाब में 25.38 लाख और पश्चिम बंगाल में 22.69 लाख गाड़ियां हैं. महाराष्ट्र, ओडिशा, गुजरात, राजस्थान और हरियाणा में ये वाहन 17.58 लाख और 12.29 लाख की रेंज में हैं, जबकि झारखंड, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, पुदुचेरी, असम, बिहार, गोवा, त्रिपुरा और दादरा-नागर हवेली और दमन और दीव के केंद्र शासित प्रदेश में ऐसे वाहनों की संख्या 1 लाख से 5.44 लाख के बीच है.
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, बाकी राज्यों में ऐसे पुरानी और प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों की संख्या एक लाख से नीचे है. हालांकि इन आंकड़ों में आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और लक्ष्यद्वीप राज्यों के डेटा मौजूद नहीं है. सरकार की योजना है कि पुराने वाहनों पर जल्द ही ग्रीन टैक्स लगाकर पर्यावरण की रक्षा की जाए. योजना के तहत, आठ साल से अधिक पुराने परिवहन वाहनों पर सड़क कर के 10 से 25 प्रतिशत की दर से फिटनेस प्रमाणपत्र के नवीनीकरण के समय ग्रीन टैक्स भी वसूला जा सकता है. 15 साल बाद पंजीकरण प्रमाणन के नवीनीकरण के समय व्यक्तिगत वाहनों से ग्रीन टैक्स भी लिया जाएगा, सार्वजनिक परिवहन वाहनों, जैसे सिटी बसों पर कम ग्रीन टैक्स लगाया जाएगा जबकि अत्यधिक प्रदूषित शहरों में पंजीकृत वाहनों के लिए उच्च कर,रोड टैक्स का 50 प्रतिशत, प्रस्तावित है.
मंत्रालय के अनुसार ग्रीन टैक्स से एकत्र राजस्व को एक अलग खाते में रखा जाएगा और प्रदूषण से निपटने के लिए उपयोग किया जाएगा. राज्यों को उत्सर्जन निगरानी के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं स्थापित करने की आवश्यकता है. नितीन गडकरी ने कहा है कि इससे ईंधन दक्षता में सुधार करने और प्रदूषण को कम करने में मदद करेगी. केंद्रीय बजट में 2021-22 के लिए घोषित स्वैच्छिक वाहन स्क्रैपिंग नीति में व्यक्तिगत वाहनों के लिए 20 साल के बाद फिटनेस परीक्षण का प्रावधान है, जबकि वाणिज्यिक लोगों को 15 साल पूरा होने के बाद इसकी आवश्यकता होगी.