न्यूज डेस्क
अब बिहार में फास्टैग की मदद से शराब तस्कर पकड़े जाएंगे. अभी तक बिहार में बंगाल के रास्ते अधिक शराब तस्करी होती थी, लेकिन बंगाल चुनाव के कारण अब झारखंड तस्करी का मुख्य मार्ग बन गया है. फिलहाल स्थिति यह है कि पुलिस और उत्पाद विभाग की टीम बाहर से आने वाले शराब तस्करों के एक रूट और एक पैटर्न को पकड़ रही है तो सप्ताह से दस दिन के भीतर ही तस्कर अपना रूट और पैटर्न बदल दे रहे हैं. रास्ता बदलने के साथ ही तस्कर गाड़ियों के प्रकार और छुपाने का तरीका भी बदल दे रहे हैं.
तस्करी का रूट बंगाल के बजाय झारखंड बना
अभी बंगाल में चुनाव हो रहे हैं, इसलिए झारखंड तस्करी का मुख्य मार्ग बन गया है. पश्चिम बंगाल में चुनाव होने के कारण वहां से लगे राज्य के सीमावर्ती जिलों में चौकसी बढ़ गई है, इसलिए अब झारखंड के रास्ते शराब की आवक बढ़ गयी है. जनवरी के बाद पश्चिम बंगाल में चुनाव की सरगर्मी से तस्करों से झारखंड को अपना मुख्य रूट बना लिया है. अगर पिछले साल एक जनवरी से लेकर 31 दिसंबर के दौरान झारखंड के रास्ते आनेवाली 1,28,295 लीटर विदेशी शराब जब्त की गयी थी, जो सीमावर्ती जिलों के मुकाबले 31 फीसदी थी. लेकिन इस साल 1 से लेकर 31 जनवरी तक पश्चिमी बंगाल के रास्ते राज्य में आयी सबसे अधिक 12,088 लीटर अंग्रेजी शराब को जब्त किया गया है. तस्कर झारखंड से आने वाले मुख्य रास्ते जैसे रजौली, बांका, चकाई आदि मुख्य मार्ग से प्रवेश नहीं करके चतरा, सतगांवा, गिरीडीह आदि छोटे रास्तों को अपना मार्ग बना रहे हैं, जहां पुलिस व उत्पाद विभाग की नजर नहीं रही है.
फास्टैग से पकड़े जाएंगे शराब तस्कर
बिहार में शराब तस्करी पर रोक लगाने के लिए फास्टैग को हथियार बनाया जाएगा. उत्पाद विभाग अब फास्टैग से निबंधित वाहनों पर नजर रखेगा, जिससे निबंधित वाहनों को पकड़ने में आसानी होगी. विभाग के अधिकारियों के अनुसार शराब तस्कर अब अपने ट्रक और बड़े वाहनों को छोड़ कर छोटे वाहनों से तस्करी अधिक कर रहे हैं. बीते दिनों पंजाब और हरियाणा से शराब भेजने वाले आधा दर्जन से अधिक बड़े तस्करों की गिरफ्तारी हुई है और वहां की राज्य सरकार भी इन मामलों पर संज्ञान ले रही है. हालांकि अब तस्कर पंजाब और हरियाणा से सीधे बिहार में शराब नहीं भेज कर ट्रक और बड़े वाहनों से झारखंड और यूपी के बिहार से लगे सीमावर्ती जिलों में शराब को ला कर पहले डंप कर रहे हैं. इन जिलों में कई जगहों पर मिनी शराब फैक्ट्री चल रही है, जहां मिलावट के साथ नकली शराब बना कर छोटे वाहनों से राज्य में भेजने का काम होता है. आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2020 में यूपी के रास्ते 1,80,716 लीटर विदेशी शराब को राज्य में जब्त किया गया था.