न्यूज़ डेस्क
कोरोना को रोकने के लिए सरकार द्वारा घोषित और आम लोगों द्वारा किये समर्थन पर देश भर में 22 मार्च 2020 का दिन जनता कर्फ्यू यानी लॉकडाउन लगने का मामला एक वर्ष आज हो पूरा हो गया. खतरनाक कोरोना वायरस ने ऐसा कहर बरपाया कि देशभर में लॉकडाउन लगाया गया, जिसके चलते सड़कों पर सन्नाटा पसर गया और लोग घरों में कैद हो गए. जिंदगी थम सी गई थी. उस दिन कैंडल जलाकर और थाली बजाकर लोगों ने एक-दूसरे का उत्साह बढ़ाया. आज उसी जनता कर्फ्यू के एक साल हो गए. इस एक साल में कोरोना के खिलाफ जंग में भारत डटकर खड़ा है, मगर वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना फिर जोर पकड़ रहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि आज भी देश भर में आए कुल नए मामलों में से 83.14 फीसदी मामले महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश से हैं.
एक साल बाद अभी हाल ये है कि कोरोना वेक्सिनेशन का काम चल रहा है, वहीँ कोरोना की दूसरी लहर भी तेज हो चुकी है. महाराष्ट्र से लेकर कई राज्यों में नाईट कर्फ्यू से लेकर फिर से मार्किट और स्कूल – कॉलेज बंद कर दिए गए हैं. महाराष्ट्र के पुणे में पिछले 24 घंटों में 5408 नए कोरोना केस, 32 मौतें हो चुकी है.
देश में रविवार को कोरोना के इस साल के अब तक के सर्वाधिक 43 हजार 846 दैनिक नए मामले आए हैं, जो इस साल अब तक की सबसे बड़ी दैनिक वृद्धि है. जिसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश भर में आए कुल नए मामलों में से 83.14 फीसदी मामले महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश से हैं.मंत्रालय के मुताबिक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, मध्य प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, गुजरात और हरियाणा में हर दिन नए मामले बढ़ रहे हैं. दिल्ली में शनिवार को इस साल पहली बार कोरोना वायरस के 800 से अधिक मामले सामने आए जबकि दो और लोगों ने संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया.
कोरोना के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 19 मार्च 2020 को देश को संबोधित किया था. इस दौरान उन्होंने पहली बार जनता कर्फ्यू शब्द का जिक्र किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से एक दिन के कर्फ्यू लगाने का आह्वान किया. पीएम मोदी जी की अपील के बाद लोगों ने जनता कर्फ्यू को पूरा समर्थन दिया और लोग उस दिन खुद अपने घरों में कैद रखा.
22 मार्च 2020 को लॉकडाउन लगने के बाद ट्रेनें, बसें, मॉल, बाजार, स्कूल-कॉलेज, अस्पतालों की ओपीडी बंद कर दी गई. केवल इमरजेंसी सेवाओं को जारी रखा गया। जिसके चलते सड़कों पर सन्नाटा पसर गया. रेलवे ट्रेक पर मालगाड़ियों को संचालन किया गया, यात्री ट्रेनें बंद रहीं, जिससे यात्रियों को खासी दिक्कत तो हुई, लेकिन कोरोना संक्रमण से बचने के लिए घरों में कैद हो गए. ऐसा सन्नाटा रहा कि पत्ता गिरने तक की आवाज आ जाए. कोरोना की दहशत ने लोगों के जीवन पर खासा असर डाला. 22 मार्च 2020 के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर लोगों ने कैंडल जलाकर और शाम को थाली बजाकर एक-दूसरे का उत्साह बढ़ाया, ताकि कोरोना से घबराए नहीं. अब सड़कों पर वाहन और ट्रेक पर ट्रेनें रफ्तार भर रही हैं. लोग अपने-अपने कामों में लगे हुए हैं, लेकिन जिस तरह कोरोना के मरीज मिल रहे हैं, उससे लगता है कि कोरोना एक बार फिर जोर पकड़ेगा, लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक बार फिर से लोगों को उन्हीं कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना होगा, जो हमने पहले किया था, ताकि कोरोना को शक्तिशाली होने से रोका जा सके.