न्यूज़ डेस्क ( रिसर्च)
बिहार में पीएचईडी ने जलस्तर पर राज्यभर में जो सर्वे कराया है, उसकी रिपोर्ट चिंताजनक है. नदियों के किनारे बसे पटना, नालंदा और भागलपुर सहित 11 जिले जलसंकट वाले क्षेत्रों की श्रेणी में आ गए हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक पटना सहित आठ जिलों में जलस्तर पिछले साल की तुलना में काफी नीचे पहुंच गया है. इन 11 जल संकटग्रस्त जिलों के अलावा कुछ अन्य जिलों में भी स्थिति चिंताजनक है.
खतरनाक स्थिति वाले जिले
रिपोर्ट के मुताबिक 25 फीट या उससे अधिक नीचे के जलस्तर वाली पंचायतों की स्थिति को चिंताजनक यानि वाटर स्ट्रेस्ड स्थल बताया गया है. इस दायरे में ए श्रेणी में 17 पंचायतें तथा बी श्रेणी की 54 पंचायतें व सी श्रेणी की 427 पंचायतें आती हैं. विभाग ने राज्य के कुल 8386 पंचायतों का विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार किया है. इस रिपोर्ट को पीएचईडी विभाग के सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव ने जारी किया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि कई जिलों में गर्मी में भीषण जलसंकट की समस्या खड़ी हो सकती है. हालांकि गंडक बेल्ट के जिले कुछ हद तक ठीक स्थिति में हैं.
17 पंचायतें सबसे खतरनाक स्थिति में
रिपोर्ट के अनुसार 498 पंचायत जलस्तर के मामले में संवेदनशील स्थिति में हैं. विभाग ने इसके लिए सभी पंचायतों को पांच श्रेणी में बांटा है- श्रेणी ए पंचायतें (जहां जलस्तर 50 फीट व उससे नीचे है), बी श्रेणी पंचायतें (जहां जलस्तर 40 से 50 फीट के बीच है), श्रेणी सी पंचायतें (जहां जलस्तर 30 से 40 के बीच है), श्रेणी डी पंचायतें ( जहां जलस्तर 20 से 30 फीट के बीच है), तथा श्रेणी ई पंचायतें (जहां जलस्तर 20 फीट तक है). ए श्रेणी में राज्य की कुल 17 पंचायतें हैं, जिसमें 8 पंचायत कैमूर की, 4 पंचायत भागलपुर की, 4 पंचायत मुंगेर की तथा 1 पंचायत रोहतास की है.
विभाग का मानना है कि 25 फीट से जलस्तर जैसे ही नीचे जाता है, जलसंकट की आशंका पैदा हो जाती है. समस्तीपुर जिले की दो पंचायतें इस श्रेणी में पायी गई हैं, उजियारपुर प्रखंड की चंदचौर मध्य व निकासपुर, पटना जिले में मोकामा प्रखंड की हथदह बुजुर्ग, कन्हाईपुर, मराची दक्षिण, नवरंज जलालपुर व शिवनार पंचायतें इसमें शामिल हैं. पटना के धनौरा व मसौढ़ी की भी कुछ पंचायतें शामिल हैं, जिनका जलस्तर 30 से 40 फीट के बीच पाया गया है. पटना सदर की फतेहपुर, पुनाडीह, महुली, सबलपुर को भी संवेदनशील पाया गया है. बेन प्रखंड की आंत, अरावन, बेन, बारा, बिहारशरीफ प्रखंड की पालटपुरा, मघरा, पचौरी, बियावानी, गिरयक प्रखंड की चोरसुआ, पायनेपुर, राजगीर प्रखंड की भूई, सिलाव प्रखंड की धरहारा, कुल फतेहपुर और मसौढ़ी इसमें शामिल हैं.
गंडक बेल्ट के जिलों की स्थिति सामान्य
रिपोर्ट के मुताबिक गंडक बेल्ट में स्थित जिलों की स्थिति सामान्य है. मुजफ्फरपुर में 50 फीट से 30 फीट वाले जलस्तर की श्रेणी में कोई भी पंचायत नहीं है, जबकि 20 फीट से 30 फीट की श्रेणी में कुल 48 पंचायतें आती हैं, वहीं वैशाली में इस श्रेणी आने वाले पंचायतों की संख्या 4 बतायी गई है. इसके साथ ही पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, गोपालगंज और सारण में स्थिति सामान्य है. वाटर स्ट्रेस्ड पंचायतों की श्रेणी में इन जिलों की कोई
भी पंचायत नहीं आ रही है. पिछले साल यहां आयी भीषण बाढ़ के कारण जलस्तर में जबरदस्त सुधार हुआ है, जिन इलाकों में बाढ़ का पानी फैला था. जहां- जहां कम वर्षा रिकार्ड किया गया और नदियों में उफान कम आया, वहां की स्थिति चिंताजनक बतायी गई है.
समस्या समाधान के लिए हो रही है कारवाई
एक तरफ पेड़ों को काटा जा रहा है तो दूसरी तरफ पानी का अंधाधुंध सप्लाई किया जा रहा है. बोरवेल पर कोई प्रतिबंध या नियंत्रण नहीं लग रहा है, तालाबों के सौंदर्यीकरण के नाम पर पक्कीकरण किया जा रहा है. एक पेड़ साल में 400 किग्रा ऑक्सीजन देता है, वहीं दो हजार किलो कार्बन सोखता है. यदि एक परिवार अपने आसपास 10 पेड़ लगाये तो परिवार की औसत आयु सात वर्ष बढ़ जाती है और जलस्तर पर भी इसका सीधा प्रभाव पड़ता है. जल विशेषज्ञ डॉ. डीके मिश्रा के अनुसार नदियों को अविरल बहने देना व प्राकृतिक जल स्रोतों को मूल रूप में रहने देने से ही भूगर्भ जल समस्या का निदान होगा. जल जीवन हरियाली के लिए 24524 करोड़ का प्रावधान है, लेकिन इसे वैज्ञानिक तरीके से क्रियान्वित करने की जरूरत है.
विभाग द्वारा की जा रही कारवाई
विभाग बताया है कि 15 फरवरी तक कराये गए सर्वे के मुताबिक राज्य के अरवल, भभुआ, भोजपुर, भागलपुर, बांका, समस्तीपुर, पटना, बक्सर में जलस्तर पिछले साल की तुलना में अधिक गिरा है. इन जिलों में जलसंकट वाली पंचायतों की पहचान और अग्रिम कार्रवाई जरूरी है. इसके लिए विभाग ने अधिकारियों को साधारण चापाकल को इंडिया मार्का चापाकल में बदलने व जहां इंडिया मार्का चापाकल लगे हैं, उनके पाइप बढ़ाने के निर्देश दिये हैं. विभाग ने कहा है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो इन जिलों में भीषण जल संकट की स्थिति पैदा हो सकती है.