दिल्ली: वरिष्ठ संवाददाता
दिल्ली में अनाधिकृत रूप से संचालित पैथोलॉजी लैब की भरमार है. आपको अगर किसी टेस्ट की जरुरत पड़ती है तो आप मज़बूरी में इसी तरह के चल रहे अनाधिकृत पैथोलॉजी लैब में जाँच करा रहे हैं. ये पैथोलॉजी लैब में 90 फीसदी वो लैब है जिसे सरकार ने मान्यता नहीं दी है. स्वास्थ्य माफिया के छत्रछाया में इस तरह के लैब मनमाने ढंग से जाँच के नाम पर पैसे वसूल रहे हैं. सूत्रों के अनुसार अधिकांश लैब किसी दूसरे लैब को ब्लड, स्टूल सहित अन्य बीमारी की जाँच के लिए सैंपल भेजते हैं, जहाँ कमीशन तय है. ये पैसे मरीजों से वसूले जाते हैं. दिल्ली के चौक-चौराहे से लेकर गलियों में अनधिकृत लैब की भरमार है, जो चेरिटेबल ट्रस्ट के बैनर संचालित होती है. यहाँ पर आपको संचालन कि जिम्मेवारी एमबीबीएस डॉक्टर की जगह ग्रामीण इलाके के लिए दिए जाने वाले बीएएमएस, यानी सीधी भाषा में समझिये कि कम्पाउण्डर आपको डॉक्टर की भूमिका में इलाज करते हैं. गरीब माध्यम वर्गीय परिवार कम पैसे में इन पैथोलॉजी में पहुँचते हैं, जिनसे अनाप-सनाप जाँच कराने के नाम पर मोटी रकम वसूला जाता है. इसी गंभीर मामले को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस मामले की अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मसले पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा था. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय और देने की मांग की. दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका एक पैथोलॉजिस्ट रोहित जैन की तरफ से दायर की गई थी. याचिका में कहा गया है कि ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब क्लीनिकल एस्टैबलिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्टर्ड नहीं किए गए हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी. दिल्ली सरकार को अपने जवाब में ये बताना है कि उसकी तरफ से कोरोना टेस्टिंग के लिए प्रयोग में लाई जा रही सभी लैब मान्यता प्राप्त हैं या नहीं ? कोर्ट ने सरकार से ये भी पूछा है कि दिल्ली में कितने मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता लैब हैं. कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं करने पर अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाएगी.
6 अगस्त 2020 को दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और ICMR को निर्देश दिया था कि गैर मान्यता प्राप्त ऑनलाइन लैब के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए लेकिन इसके बावजूद कोर्ट के आदेश पर कोई एक्शन नहीं लिया गया और न ही ऑनलाइन एग्रीगेटर द्वारा चलाई जाने वाली पैथोलॉजी लैब को बंद किया गया, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने कोर्ट के आदेश की अवमानना करने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
दिल्ली में ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब रिपोर्ट के मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार से कहा कि वो देखें कि लंबित कानूनी प्रावधानों में किस तरह से ऑनलाइन एग्रिगेटर्स को रेग्युलेट करने के उपाय हो सकते हैं. जस्टिस नजमी वजिरी ने ऑनलाइन एग्रिगेटर्स को कोर्ट के आदेश के बावजूद रेग्युलेट नहीं करने पर दिल्ली सरकार, ICMR और अन्य संबंधित विभागों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना करने के मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार से कहा कि वो स्पष्ट करें कि उसके द्वारा कोरोना टेस्टिंग के लिए प्रयोग में लाई जा रही सभी लैब मान्यता प्राप्त हैं भी या नहीं? कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ये भी बताए कि दिल्ली में कितनी मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता वाली लैब चल रही हैं?
दरअसल हाई कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें आरोप लगाया गया कि इस सिलसिले में उसके आदेशों का पालन नहीं हुआ. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से जानना चाहा कि क्या इसकी पैथोलॉजिकल प्रयोगशालाएं और अस्पताल एनएबीएल से मान्यता प्राप्त हैं अथवा नहीं. याचिका में हाई कोर्ट के छह अगस्त 2020 के आदेश का पालन नहीं करने के आरोप लगाए गए, जिसमें दिल्ली में अवैध ऑनलाइन स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे और ऑनलाइन पैथोलॉजिकल प्रयोगशालाओं को नियमित करने का आदेश दिया गया था.