मुन्ना शर्मा
बिहार में अब प्रदर्शन या सड़क जाम करने पर सरकारी नौकरी और कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिलेगी. नितीश सरकार के शासन में यह फरमान जारी किया गया है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सरकारी नौकरी या ठेका लेने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा सत्यापित चरित्र प्रमाण पत्र अनिवार्य होता है, लेकिन अब विरोध प्रदर्शन और सड़क जाम करने वालों को यह प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाएगा, यानी सरकारी नौकरी और कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिलेगा.
बिहार सरकार के गृह मंत्रालय ने आदेश में कहा है कि यदि कोई व्यक्ति किसी विधि-व्यवस्था की स्थिति, विरोध प्रदर्शन, सड़क जाम, आदि मामलों में संलिप्त होता है, किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और उसे इस कार्य के लिए पुलिस द्वारा आरोपपत्रित किया जाता है तो चरित्र सत्यापन प्रतिवेदन में विशिष्ट एवं स्पष्ट रूप से लिया जायेगा. संज्ञेय अपराधों के संबंध में यदि कोई व्यक्ति प्राथमिक अथवा अप्राथमिक अभियुक्त रहा हो, लेकिन जांच के बाद आरोपपत्रित नहीं किया गया हो तो सत्यापन प्रतिवेदन में कोई टिप्पणी नहीं की जायेगी. साथ ही संदिग्ध घोषित किये गये व्यक्ति पर भी टिप्पणी नहीं की जायेगी.
इस तरह केवल एफआइआर में नाम होने से किसी का चरित्र नहीं बिगड़ पाएगा. इसके अलावा कोर्ट द्वारा किसी आरोपपत्रित व्यक्ति के विरुद्ध अगर संज्ञान नहीं लिया जाये या किसी चरण में मुकदमा खारिज कर दिया जाये या विचार के बाद दोषमुक्त कर दिया जाये तो चरित्र सत्यापन प्रतिवेदन में उसकी प्रविष्टि नहीं की जाएगी. गौरतलब है कि बीते 25 जनवरी को गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव ने डीजीपी और सभी विभागों के साथ प्रमंडलीय आयुक्त और जिलाधिकारियों को पत्र जारी कर कहा था कि विभिन्न सरकारी विभागों, निगमों, निकायों में संविदा या ठेका पर काम लेने के लिए चरित्र सत्यापन की अनिवार्यता होगी. इसके बाद पुलिस मुख्यालय ने स्पष्ट किया कि नौ मामलों में पुलिस सत्यापन प्रतिवेदन की आवश्यकता है.
इन 9 मामलों में पुलिस सत्यापन की जरूरत होगी
* विभिन्न सरकारी विभागों, निगमों व निकायों में संविदा, ठेका पर काम,
* चरित्र प्रमाण पत्र निर्गत करने के लिए,
* सरकारी सेवा में स्थायी अनुबंध के आधार पर नौकरी करने के लिए,
*सार्वजनिक उपक्रमों में संबंधित विभिन्न प्रकार के लाइसेंस पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी के लाइसेंस के लिए,
* किसी भी प्रकार के सरकारी सहायता प्राप्त करने वाले एनजीओ, संस्था में ऐसे व्यक्ति के पदधारक होने पर सरकारी सहायता या कांट्रेक्ट दिये जाने के लिए,
* बैंक अथवा सरकारी संस्थानों से कर्ज लेने के लिए,
* पासपोर्ट के आवेदन के लिए,
* शस्त्र लाइसेंस के आवेदन के लिए, तथा
* अन्य कोई कार्य जिसके लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा पुलिस सत्यापन की जरूरत के लिए.
सत्यापन की व्यक्तिगत जिम्मेदारी थानाध्यक्ष की
पुलिस सत्यापन की व्यक्तिगत जिम्मेदारी संबंधित थानाध्यक्ष की होगी. पुलिस सत्यापन प्रतिवेदन तैयार करने के लिए थाना द्वारा सभी अभिलेखों का अध्ययन किया जायेगा. हरेक परिस्थिति में सत्यापन प्रतिवेदन पूर्ण और सही-सही होना चाहिए और यह संबंधित थानाध्यक्ष की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी. एक से अधिक जिला में रहने वाले व्यक्तिगत व आपराधिक गतिविधियों के बारे में सभी संबंधित जिलों से सूचना ली जायेगी. वर्तमान और स्थायी पता के साथ कारा निदेशालय के आंकड़ों की जानकारी भी पुलिस को देनी अनिवार्य होगी.
सरकार का तुगलकी फरमान है – विपक्ष
नितीश सरकार के इस कदम की आलोचना विपक्ष और दूसरी पार्टियां कर रही हैं. तेजस्वी यादव ने कहा है कि “नितीश सरकार ने यह तुगलकी फरमान जारी किया है, क्योंकि सरकार का लगातार विरोध हो रहा है. 75 सीटों पर जीत हासिल करके भी हम विपक्ष में बैठे हैं और 43 सीटें लाकर नितीश कुमार सरकार में हैं. दरअसल जनता की आवाज को दबाने के लिए सरकार इस तरह की दमनात्मक आदेश जारी कर रही है.”