न्यूज डेस्क
आज सरकार और किसान यूनियन के बीच 11वें दौर की वार्ता संपन्न हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया. यानी आंदोलन अभी भी जारी रहेगी. इधर केंद्र सरकार मामले पर सख्त होती दिख रही है. सरकार की तरफ से कहा गया है कि इससे ज्यादा और कुछ नहीं किया जा सकता है, अब तो किसानों को ही पुनर्विचार करना पड़ेगा.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कोई ताकत है जो चाहती है कि आंदोलन जारी रहे. ये ताकते किसानों के हित में फैसले नहीं चाहती हैं. कुछ लोग हर अच्छे काम के विरोध के आदी हैं. सरकार के प्रस्ताव पर फैसला करके कभी भी किसान बैठक के लिए आ सकते हैं. बहुत सारे संगठन हमारे प्रस्ताव से सहमत भी हैं. लोकतंत्र में सहमित या असहमति का हक सभी को है, लेकिन आंदोलन में अनुशासन बना रहना चाहिए.
कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में हैं. इस वार्ता में पीयूष गोयल जी, सोमपाल जी, पंजाब सरकार के अधिकारी भी उपस्थिति थे. गौरतलब है कि 14 अक्टूबर से चल रही 11 दौर की वार्ता में करीब 45 घंटे तक चर्चा हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. कृषि मंत्री ने कहा कि भारत सरकार पीएम मोदी जी के नेतृत्तव में किसानों और गरीबों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है, किसान मुनाफे में आए, भ्रष्टाचार और बिचौलियों की समाप्ति हो,नई तकनीकों का उपयोग हो, इस दृष्टि से कृषि सुधार बिलों को संसद में पास किया गया था.
पंजाब के किसान और कम मात्रा में दूसरे राज्यों के किसानों ने आंदोलन शुरू किया है, लेकिन वो दूसरे लोगों के बहकावे में आ गए हैं. कुछ लोग जो गलतफहमियां फैलाने के आदि हो चुके हैं, वो किसान के कंधे का इस्तेमाल करके राजनीतिक फायदा ले सके. भारत सरकार की कोशिश की थी कि वो सही रास्ते पर विचार करें. इसके लिए 11 दौर की बात की गई, जब किसान यूनियन अपनी बात पर अड़ी रही. ग्यारवें दौर की वार्ता के दौरान जब किसान यूनियन की तरफ से ये कहा गया कि हम तो रीपील ही चाहते हैं, जबकि भारत सरकार ने कहा रीपील के अलावा कोई विचार हो तो बताओ.
इस तरह सरकार के तरफ से अब साफ कर दिया गया है कि अब आगे कुछ होगा तो सिर्फ किसानों को ही पुनर्विचार करना होगा और किसान कभी भी इसके लिए समय ले सकते हैं, लेकिन बिल को वापस लेने का विचार किसान छोड़ दें. फिलहाल दोनों पक्षों में कोई समझौता होता नहीं दिख रहा है.