डॉ. निशा सिंह
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन आज लगातार 44वें दिन दिल्ली की सीमाओं पर जारी है. किसान और सरकार के बीच आठवें दौर की बैठक भी रही बेनतीजा रही, अगली बैठक 15 जनवरी को होगी. सरकार और किसान अपने-अपने रुख पर डटे हुए हैं. सरकार ने आज की बैठक में साफ कर दिया कि वो कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी. वहीं किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. कृषि मंत्री ने कहा है कि किसान वैकल्पिक प्रस्ताव दें तो विचार करेंगे. इधर किसानों ने कहा कि कृषि कानूनों की वापसी तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा. 11 जनवरी को किसानों की फिर बैठक होगी.
कृषि कानूनों के मुद्दे पर किसानों और सरकार के बीच आज शुक्रवार को एक और दौर की बातचीत हुई. आज की बैठक भी बेनतीजा रही. सरकार और किसान अपने-अपने रुख पर अड़े हैं. सरकार ने आज की बैठक में साफ कर दिया कि वो कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी. वहीं किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. सरकार और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक होगी. सूत्रों के मुताबिक, आज की बैठक में सरकार ने किसानों से कहा कि अब फैसला सुप्रीम कोर्ट करे तो बेहतर है. सरकार और किसानों के बीच अब तक कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन सभी बेनतीजा रही. रास्ता न निकलते देख सरकार ने किसानों से ये बात कही.
इससे पहले चार जनवरी को हुई वार्ता बेनतीजा रही थी, क्योंकि किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे, वहीं सरकार ने ‘समस्या’ वाले प्रावधानों या गतिरोध दूर करने के लिए अन्य विकल्पों पर ही बात करने पर जोर दिया. किसान संगठनों और केंद्र के बीच 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में दो मांगों, पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और बिजली पर सब्सिडी जारी रखने को लेकर सहमति बनी थी.
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज की बैठक में कृषि कानूनों पर चर्चा हुई लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका. सरकार ने आग्रह किया कि यदि किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के अलावा कोई विकल्प दें तो हम इस पर विचार करेंगे, लेकिन कोई विकल्प प्रस्तुत नहीं किया जा सका. कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि आज की बैठक संपन्न हुई और 15 जनवरी को अगली बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया. कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने बार-बार कहा है कि किसान संगठन अगर कानून वापस लेने के अलावा कोई विकल्प देंगे तो हम बात करने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि विरोध कर रहे लोगों का मानना है कि इन कानूनों को वापस लिया जाए, लेकिन देश में बहुत से लोग इन कानूनों के पक्ष में हैं. उम्मीद है अगली बैठक में हमारे पास एक नया प्रस्ताव आएगा और इस मामले का हल खोजा जाएगा हम इसे जल्द से जल्द हल करने की कोशिश करेंगे.
राकेश टिकैट (बीकेयू)ने कहा कि तारीख पर तारीख. अभी 1-2 महीने रहेंगे. किसान बिल वापसी से पहले नही मानेंगे. हमको बुलायेंगे तो फिर बात करने आयेंगे. हम तो खेत में बीज डालकर 4 महीने इंतजार करते हैं. अगली बार 1 घंटे ही मीटिंग चलेगी. जिस दिन सरकार सीधे लाइन पर बात करेगी, हल निकाल लेंगे.
कोर्ट में भी देख लेंगे, हमारे बहुत वकील हैं. 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे. 25 को ही आना पड़ेगा दिल्ली, 26 को सुबह 6 बजे शुरु हो जायेगी परेड. दिल्ली में मई 2024 तक धरना रहेगा. हम दिल्ली छोड कर नहीं जा रहे हैं.
किसान नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा सरकार को कहा कि इस कानून को रीअपील करो तो सरकार ने कहा बिलकुल नहीं, क्योंकि काफी राज्य इसके पक्ष में है. सरकार ने कहा की कोर्ट में चलो, हमने कहा कि हम कोर्ट में नहीं जायेंगे. 26 जनवरी को हम परेड निकालेंगे. केंद्र सरकार के साथ 15 जनवरी को दोबारा मीटिंग होगी. उम्मीद है 15 की बैठक में समाधान होगा.
पिछले साल सितम्बर में अमल में आए तीनों कानूनों को केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है. सरकार का कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे. दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी और खेती बड़े कारपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी.
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