मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर मतदान आज : कमलनाथ शिवराज बने रहेंगे सीएम ?

राम निवास सिंह

मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर उप चुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया है। 22 महिला प्रत्याशी व 12 मंत्री भी चुनाव मैदान में हैं. कांग्रेस और बीजेपी के बीच ज्यादातर सीटों पर सीधी लड़ाई हो रही है जबकि कुछ सीटों पर बसपा और निर्दलीय ने त्रिकोणीय मुकाबला है. यह उपचुनाव शिवराज सरकार की भविष्य का फैसला करेगा वहीं पूर्व सीएम कमलनाथ की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. अगर कांग्रेस को ज्यादा सीट आयी तो शिवराज की कुर्सी चली जाएगी.

मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के इतिहास में पहली बार किसी राज्य में एक साथ 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. यहां अभी 29 विधानसभा सीटें रिक्त हैं, जिनमें से 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. उपचुनाव कांग्रेस के 25 विधायकों के इस्तीफा देने और 3 विधायकों के निधन से रिक्त हुई सीटों पर हो रहे हैं. ऐसे में बीजेपी ने कांग्रेस के आए सभी 25 विधायकों के टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है, जिनमें से शिवराज सरकार के 14 मंत्री भी हैं.

एमपी की कुल 230 विधासभा सीटों हैं. जिसके लिहाज से कुल 229 सीटों के आधार पर बहुमत का आंकड़ा 115 चाहिए. ऐसे में बीजेपी को बहुमत का नंबर जुटाने के लिए केवल आठ सीटें जीतने की जरूरत है जबकि कांग्रेस को सभी 28 सीटें जीतनी होंगी. मौजूदा समय में बीजेपी के 107 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के 87, चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा का विधायक है.

कौन सी है 28 सीट जहाँ पर हो रहे हैं उपचुनाव

मध्य प्रदेश की जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, जिनमें से ग्वालियर-चंबल इलाके की 16 सीटें हैं. इनमें मुरैना, मेहगांव, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर, डबरा, बमोरी, अशोक नगर, अम्बाह, पोहारी,भांडेर, मुंगावली, गोहद, सुमावली, करेरा, दिमनी और जौरा सीट शामिल है. वहीं, मालवा-निमाड़ क्षेत्र की सुवासरा, मान्धाता, सांवेरस आगर, बदनावर, हाटपिपल्या और नेपानगर सीट है. इसके अलावा सांची, मलहरा, अनूपपुर, ब्यावरा और सुरखी सीट है. इसमें से जौरा, आगर और ब्यावरा सीट के 3 विधायकों के निधन के चलते उपचुनाव हो रहे हैं.

शिवराज के 14 मंत्रियों की साख दांव पर लगी है

आज हो रहे उपचुनाव में 14 मंत्रियों की साख दांव पर लगी है. इसमें से 11 पर तो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा भी दांव पर है, क्योंकि यह उन्हीं के समर्थक हैं और सिंधिया के कहने पर ही सभी ने दल बदल किया था. इनमें तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, प्रभु राम चौधरी, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, गिर्राज दंडोतिया, ओपीएस भदौरिया, सुरेश धाकड़, बृजेंद्र सिंह यादव, बिसाहूलाल सिंह, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, एदल सिंह कंसानाऔर हरदीप सिंह डंग पर सबकी नजर है.

सिंधिया की राजनीति में सुपर साबित करने की चुनौती

गुना से चार बार लोकसभा सांसद रहे सिंधिया चाहेंगे कि उनके गुट के सभी 22 विधायक, जिन्होंने उनके लिए इस्तीफा दिया था, फिर से जीतकर विधानसभा पहुंचे. सिंधिया के लिए यह उप चुनाव उनके इलाके में उनके राजनीतिक कद को फिर से परिभाषित और पुनर्स्थापित करेगा, क्योंकि 22 में से 16 सीटें ग्वालिर और चंबल इलाके की हैं, जहां सिंधिया परिवार का दबदबा रहा है. सिंधिया को अपनी नई पार्टी बीजेपी (और लोगों) के सामने खुद को साबित करने की जरूरत में उनकी चुनौती सिर्फ कांग्रेस नहीं है.

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