डॉ. निशा कुमारी
केंद्र सरकार ने स्कूलों के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर यानि एसओपी जारी कर दिया है. इस एसओपी के मुताबिक दो-तीन हफ्ते तक बच्चों का कोई असेसमेंट नहीं होगा. बच्चों की मेंटल हेल्थ, इमोशनल सेफ्टी पर ध्यान देना होगा. पैरेंट्स की सहमति से ही बच्चे स्कूल जाएंगे. हर स्कूल को कैम्पस में इमरजेंसी केयर टीम बनानी होगी.
एसओपी के संदर्भ में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि गृह मंत्रालय ने राज्यों को यह छूट दी है कि वे अपने हालातों को देखते हुए और पैरेंट्स की सहमति से स्कूल खोल सकते हैं. किसी बच्चे को बिना पैरेंट्स की सहमति से जबरदस्ती नहीं बुलाया जाएगा. सरकार द्वारा जारी एसओपी के दो भाग है, पहले भाग में स्कूल खोलने में पालन किये जाने वाले मानकों का उल्लेख है तो दूसरे भाग में एकेडेमिक एजुकेशन की रुपरेखा बताई गई है.
एसओपी के पहले हिस्से के मुताबिक स्कूल कैम्पस के सभी इक्विपमेंट और जगहों को डिसइन्फेक्ट किया जाए. स्कूलों को इमरजेंसी केयर सपोर्ट टीम या रिस्पॉन्स टीम बनानी होगी. राज्यों की तरफ से जारी गाइडलाइन के आधार पर स्कूल अपनी सेफ्टी का पालन करे. सिटिंग प्लान बनाते वक्त सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जाए. स्कूलों से फंक्शंस और इवेंट्स को टाला जाए. सभी बच्चे और स्टाफ फेस मास्क पहनकर ही स्कूल आएं. इसे हर वक्त पहना जाए। बच्चे पैरेंट्स की लिखित मंजूरी के बाद ही स्कूल आएं. क्लास के लिए एकेडमिक कैलेंडर में बदलाव किए जाएं. स्कूल बच्चों और टीचर्स का रेगुलर हेल्थ चेकअप किया जाए.
एसओपी के दूसरे भाग के मुताबिक बदले हालात को देखते हुए एकेडमिक कैलेंडर पर दोबारा काम किया जाए. लर्निंग आउटकम का ध्यान रखते हुए कॉम्प्रिहेंसिव और अल्टरनेटिव कैलेंडर बनाया जाए. वर्कबुक, वर्कशीट्स, टेक्नोलॉजी आधारित पढ़ाई के अलग-अलग तरीकों पर ध्यान दिया जाए. स्कूल अपने कैलेंडर और एनुअल करिकुलम प्लान पर दोबारा विचार करें और बैक टू स्कूल कैम्पेन चलाएं.