जामताड़ा ।
कसिया टॉड गांव में “वन नेशन वन इलेक्शन” विषय पर एक जागरूकता कार्यक्रम नवजीवन इंटरनेशनल की और से किया गया. इस कार्यक्रम में महिलाओं को राजनीतिक रूप से जागरूक और मजबूत बनाने पर जोर दिया.
कार्यक्रम में सभी ने यह संकल्प लिया कि वे अपने-अपने गांवों में जाकर लोगों को वन नेशन वन इलेक्शन के फायदे के बारे में जागरूक करेंगे और इस अभियान को जन-जन तक पहुंचाएंगे. जागरूकता कार्यक्रम की अध्यक्षता स्व-सहायता समूह की प्रमुख गीता देवी ने की. वही मुख्य अतिथि के तौर पर नवजीवन इंटरनेशनल ट्रस्ट की अध्यक्ष बबीता झा मौजूद रहीं. उन्होंने “वन नेशन वन इलेक्शन” की अवधारणा को विस्तार से समझाया. उनका कहना था कि” यह योजना देश के संसाधनों की बचत, चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और प्रशासनिक गतिविधियों को बाधित किए बिना लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक अहम और शानदार पहल है”.
यह देश की जरूरत है – बबीता झा
बबीता झा ने कहा” कि बार-बार चुनाव कराने से न केवल खर्च बढ़ता है, बल्कि विकास कार्यों में भी रुकावट आती है. अगर देशभर में एक साथ चुनाव हों, तो इससे समय और संसाधनों की बड़ी बचत होगी और जनता को भी बार-बार मतदान प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा”. उन्होंने महिलाओं से अपील की कि वे भी इस विषय पर जागरूक हों और अपने-अपने क्षेत्र में लोगों को इसके फायदे समझाएं. वहीं उन्होंने कहा कि “आज हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है. आप लोगों के द्वारा जो हस्ताक्षर किया जाएगा उसे राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा. यही हस्ताक्षर अभियान ही हमारी मांग को राष्ट्रपति पर पहुंचने का काम करेंगी. राष्ट्रपति की मंजूरी होने पर वन नेशन वन इलेक्शन पर मुहर लगेगी”.
इस अवसर पर पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष पुष्पा सोरेन, वेदनाथ सोरेन, श्रुति कुमारी, पूना देवी, शांति देवी, यशोदा देवी, रश्मि देवी, संजोती हांसदा, बुनिया देवी और कमली देवी जैसे गणमान्य लोग भी मौजूद थे. सभी अतिथियों ने इस कार्यक्रम की सराहना की और कहा कि महिलाओं की भागीदारी से समाज में सकारात्मक बदलाव आ सकता है.
पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष पुष्पा सोरेन ने कहा कि “लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी बहुत जरूरी है.जब महिलाएं राजनीतिक मुद्दों पर जागरूक होंगी, तभी वे सही निर्णय ले पाएंगी और देश के विकास में अहम भूमिका निभा सकेंगी”. उन्होंने कहा कि “वन नेशन वन इलेक्शन जैसी पहल सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं हैं, बल्कि हम सबकी साझा जिम्मेदारी है कि इस पर गंभीरता से चर्चा करें और आम जनमानस को इससे जोड़ें”.
कार्यक्रम में स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया और इस पहल का समर्थन किया. गीता देवी ने कहा कि “ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को ऐसी जानकारी देना समय की मांग है, ताकि वे भी मुख्यधारा से जुड़ सकें और सामाजिक बदलाव की वाहक बन सकें”. यह आयोजन न केवल एक राजनीतिक विचारधारा पर चर्चा का माध्यम बना, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण और लोकतांत्रिक जागरूकता को बढ़ाने में भी एक मिसाल साबित हुआ.
रिपोर्ट – शिवपूजन सिंह
