पटना : शार्प वे न्यूज़ नेटवर्क ।
Bihar Cabinet Expansion: बिहार में इसी साल अक्टूबर-नवंबर महीने में विधानसभा का चुनाव होना है. एनडीए और महागठबन्धन के बीच इस दफे सीधा मुलाबला हो सकता है. ये भी डिपेंड तब करेगा जब नीतीश कुमार बीच में पलटी नहीं मारे. अगर फिर पलटी मारते हैं तो बीजेपी को बिहार में झटका लग सकता है, लेकिन फ़िलहाल नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में संयुक्त सरकार चल रही है. बीजेपी-जदयू दोनों मिलकर बिहार विधान सभा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी है. अब नयी खबर ये आ रही है कि नीतीश सरकार कैबिनेट का आज शाम विस्तार होगा. सूत्रों के मुताबिक इस बार 6 से 7 नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है.
सूत्रों के मुताबिक जिन मंत्रियों के पास एक से अधिक विभाग है उनके विभाग कम किए जाएंगे. उनसे विभाग लेकर नए मंत्रियों को दे दिया जाएगा. अभी कई ऐसे मंत्री हैं जिनके पास एक से अधिक विभागों की जिम्मेदारी है. उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के पास तीन-तीन विभाग हैं. मंगल पांडेय, नीतीश मिश्रा और प्रेम कुमार के पास 2-2 विभाग है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को मंत्री पद से हटाया जायेगा. बीजेपी में पार्टी के संविधान के तहत ‘एक नेता एक पद’ का सिद्धांत है. यानी एक व्यक्ति एक से अधिक पदों पर नहीं रह सकता है.
सूत्रों के अनुसार कैबिनेट विस्तार में अगड़ी जाति से दो मंत्री बन सकते हैं. राजपूत और भूमिहार जाति से एक-एक मंत्री बनाए जाने की संभावना है. वहीं अति पिछड़ा से दो लोगों को मंत्री बनाया जा सकता है. तेली जाति से एक मंत्री बनना लगभग तय है. पिछड़ा समाज से भी एक मंत्री बन सकता है. बिहार में फिलहाल कुल 31 मंत्री हैं. जबकि कुल 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं. बीजेपी कोटे से 3-4 और जेडीयू कोटे से 2-3 नए मंत्री कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं. बिहार में विधान सभा चुनाव है, इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा जाएगा.
तैयारी दोनों तरफ से है, गठबंधन का स्वरुप बदल भी सकता है
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों अभी बिहार में अपनी यात्रा में व्यस्त हैं. वोटरों से सीधा संवाद कर रहे हैं. बीजेपी भी अपने स्तर से वोटरों के बीच संपर्क कर रही है. एन डी ए और महागठबन्धन के बीच मुकाबला होगा, अभी तो यही स्थिति है, लेकिन चुनाव आते-आते क्या होगा, इसके बारे में कहना कठिन है. बीजेपी नीतीश के नेतृत्व में हीं चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है, लेकिन अगर बीजेपी को जदयू से ज्यादा सीटें मिली तो क्या नीतिश इस बार भी मुख्यमंत्री बन पाएंगे ? महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे जैसे हाल होने की आशंका से नीतीश भी पेशोपेश में हैं. पार्टी को बचाने की चुनौती और अपनी साख को बचाना भी नीतीश कुमार के पास अभी सामने है. अगर पिछले विधान सभा चुनाव की तरह जदयू को मात्र 43 सीट के आस पास सीट मिली तो नितीश कुमार का पोलिटिकल करियर लगभग खत्म हो जायेगा. 20 साल से मुख्यमंत्री रहे नीतीश के सामने यही चुनौती है. लालू यादव चारा फेक रहे हैं, लेकिन नीतीश का मन अभी डोला नहीं है, लेकिन बीजेपी ने जल्दबाजी दिखाया तो शायद फिर पलटी मार सकते हैं.
