कछुआ की गति से चलता है बिहार में सूचना आयोग का काम

The work of the Information Commission in Bihar moves at the speed of a tortoise

पटना : विशेष संवाददाता।

Bihar Information Commission: बिहार में सूचना आयोग का काम लेट लतीफी वाला होता है. इसका ताजा मामला भी सामने आया है. बक्सर के रहने वाले एक व्यक्ति ने पांच साल पहले सूचना आयोग से एक जानकारी मांगी थी, जिसका जवाब आयोग के द्वारा अब दिया गया है.

बक्सर के रहने वाले शिवप्रकाश राय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकारी यात्रा से जुड़ी सूचना के साथ ही चार अन्य अलग-अलग सूचनाओं पर राज्य सूचना आयोग से जानकारी के लिए मार्च 2020 में आवेदन लगाया था. इसमें उन्होंने 2005 से 2020 तक सीएम नीतीश कुमार के द्वारा की गई सरकारी यात्रा में हुए खर्च की जानकारी मांगी थी. इस संबंध में अब सुनवाई की जाएगी. शिव प्रकाश ने कहा कि उनकी दो सूचनाओं की सुनवाई इस महीने जनवरी माह के अंत में होगी. यानि 30 दिनों की जगह 5 साल बाद इस मामले को देखा गया है.

जानिए क्या है सूचना के अधिकार अधिनियम के नियम

आपको बता दें कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत 30 दिनों में सूचना देनी होती है, नहीं तो प्रथम अपील होगा. इसके 70 दिन बाद अपीलीय अधिकारी भी सूचना नहीं दिला पाए तो मामला राज्य सूचना आयोग में चला जाता है. सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत कोई भी नागरिक सरकार द्वारा वित्त पोषित विभागों, संस्थाओं से 150 शब्दों में किसी सूचना की मांग कर सकता है जिसे मुहैया कराना लोक सूचना पदाधिकारी की हैसियत से काम कर रहे अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है.


2006 में बिहार राज्य सूचना आयोग का गठन

सूचना के अधिकार को मजबूती देने के लिए बिहार सरकार ने राज्य सूचना आयोग का गठन किया था. बिहार राज्य सूचना आयोग एक वैधानिक निकाय है, जिसे जून 2006 में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 15 के अनुसार बिहार सरकार द्वारा स्थापित किया गया था. आपको बता दें कि भारतीय संसद द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 भारतीय संसद में पारित किया गया था. आयोग के स्तर से न सूचना मिल पा रही है और न ही दोषी अधिकारी दंडित हो रहे हैं. बिहार राज्य सूचना आयोग में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के एक पद और राज्य सूचना आयुक्तों के तीन पदों का सृजन किया गया है. सितम्बर 2024 में पत्रकार प्रकाश कुमार और पूर्व मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा राज्य सूचना आयुक्त बनाए गए. बता दें कि सूचना आयुक्त की नियुक्ति तीन साल के लिए होती है.

बिहार राज्य सूचना आयोग का सालाना खर्च 10 करोड़ रुपए है

उन्हें राज्य सरकार के सचिव के तरह वेतन, भत्ता. गाड़ी और आवास मिलता है. हर साल करीब 10 करोड़ रुपए का खर्च इस आयोग के संचालन में होता है. मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर भी रिटायर्ड सीनियर आईएएस ही हैं. बिहार के पूर्व मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण अभी मुख्य सूचना आयुक्त की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. त्रिपुरारि शरण 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. रिटायर न्यायमूर्ति शशांक कुमार सिंह बिहार के पहले मुख्य सूचना आयुक्त थे. न्यायमूर्ति शशांक को 2006 में मुख्य सूचना आयुक्त बनाया गया था. उसके बाद लगातार चार रिटायर आईएएस अधिकारियों को मुख्य सूचना आयुक्त बनाया गया, जिसमें अशोक कुमार चौधरी, आरजेएम पिल्लई, अशोक कुमार सिन्हा और एन के सिन्हा बिहार के मुख्य सूचना आयुक्त बने. आपको बता दें कि केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त को प्रति माह 2,50,000 रुपये सैलरी मिलती है, जबकि अन्य सूचना आयुक्तों की सैलरी 2,25,000 रुपये मंथली होती है.

Jetline

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *