शार्प वे न्यूज़ नेटवर्क :
म्यांमार में गृहयुद्ध जारी है. वर्त्तमान म्यांमार में विद्रोही समूह अराकान आर्मी (AA) और सैन्य सरकार (जुंटा) के बीच गृह युद्ध चल रहा है. अराकान आर्मी ने रखाइन प्रांत के ज्यादातर हिस्से पर कब्जा कर लिया है.
इससे बांग्लादेश से लगती हुई म्यांमार सीमा पर अराकान आर्मी का नियंत्रण हो गया है. विद्रोही संगठन अराकान आर्मी ने बांग्लादेश बॉर्डर से लगे रखाईन स्टेट के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा जमा लिया है. इसका सीधा इफेक्ट बांग्लादेश पर पड़ रहा है. बंगलादेश सरकर ने रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थियों के आगमन को लेकर चिंता जताई है. वहीं म्यांमार का एक और पड़ोसी देश भारत भी इस घटनाक्रम से चिंतित है. भारत की आशंका है कि इसका असर उसके पूर्वोत्तर के राज्यों की सुरक्षा व्यवस्था पर हो सकता है. मिल रही जानकारी के मुताबिक भारत और म्यांमार का 1,643km लम्बा बॉर्डर है. म्यांमार की ओर से इस बॉर्डर का पूरा कंट्रोल म्यांमारआर्मी से हटकर जातीय सशस्त्र समूहों (अराकान आर्मी) के पास चला गया है. थ्री अलायंस ब्रदरहुड के एक विद्रोही गुट अराकान आर्मी की ओर से राखीन प्रांत पर कब्जा कर लिया गया है. यहां का 271km लंबा बॉर्डर बांग्लादेश के साथ सटा हुआ है. म्यांमार में अराकान आर्मी के उदय से भारत-बांग्लादेश की सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा खड़ा हो गया है.
भारत के सामने चुनौती
पड़ोसी देश म्यांमार के पूर्वोत्तर खासतौर से मणिपुर में बीते 20 महीनों में म्यांमार से ईसाई और बौद्ध शरणार्थियों के आने से समस्याएं बढ़ गई हैं. भारत को इस बात का डर है कि म्यांमार के विद्रोही समूहों के जरिए आधुनिक हथियार पूर्वोत्तर में सक्रिय विद्रोही गुटों तक पहुंच सकते हैं. जबकि म्यांमार के विद्रोही समूह धन जुटाने के लिए नशीली दवाओं की तस्करी बढ़ा रहे हैं, जो भारत के लिए एक और बड़ी चिंता का सबब है. म्यांमार और बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल का इस्तेमाल चीन भारत के पूर्वोत्तर सीमावर्ती राज्यों में अशांति पैदा करने के लिए कर सकता है. इसके अलावा भारत की चिंता म्यांमार में चल रहे प्रोजेक्ट भी हैं. भारत का कलादान मल्टी-मॉडल ट्रेड एंड ट्रांजिट प्रोजेक्ट (KMTTP) का प्रमुख बंदरगाह सितवे और सितवे-पालेतवा सड़क रखाइन से गुजरता है. ऐसे में भारत को अपनी इस खास परियोजना को नुकसान होना का भी डर सता रहा है.
भारत-बांग्लादेश दोनों को टेंशन
बांग्लादेश पहले से ही अपने देश में घुस रहे रोहिंग्या घुसपैठियों को लेकर परेशान है. वहीं भारत को इस बात की चिंता है कि म्यांमार के बिगड़े हालात देश के उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं. भारत और म्यांमार का बॉर्डर 1,643km लंबा है. म्यांमार की ओर से इस बॉर्डर का पूरा कंट्रोल आर्मी से हटकर जातीय सशस्त्र समूहों के पास चला गया है. भारत का इन समूहों के साथ बेहद ही सीमित संपर्क रहा है क्योंकि ये समूह हमेशा से म्यांमार की सेना का विरोध करते हैं. वहीं अब इन हालातों को देखते हुए भारत को इन समूहों से बातचीत करनी पड़ सकती है. दरअसल अराकान आर्मी में जातीय बौद्ध ज्यादा मात्रा में है. ये खुद को रोहिंग्यो विरोधी विद्रोही गुट के रूप में स्थापित कर चुके हैं. ऐसे में भारत के सीमावर्ती इलाकों में इनके कब्जे से रोहिंग्या के घुसपैठ करने का खतरा अधिक बढ़ गया है. रोहिंग्या वैसे ही अवैध रूप से भारत-बांग्लादेश के बॉर्डर में घुस रहे हैं. उन्हें वापस भेजना सिरदर्दी साबित हो रहा है. समस्या ये है कि अवैध रूप से घुसे रोहिंग्याओं को अब किसके हवाले किया जाए.
