बिहार का बहुचर्चित बॉबी हत्याकांड: जब किशोर कुणाल की जाँच से हिल गया था जगन्नाथ मिश्रा का सिंहासन

bobby murder case

डॉ निशा सिंह

सबसे पहले चर्चा किशोर कुणाल कि करते है.आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल अब इस दुनियां में नहीं रहे। उनका निधन पटना में कार्डियेक अरेस्ट से हुआ। महावीर मंदिर न्यास अध्यक्ष किशोर कुणाल अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापकों में से एक थे. इसके अलावे महावीर मंदिर और महावीर मंदिर कैंसर हॉस्पिटल के फाउंडर थे। किशोर कुणाल जेडीयू नेता अशोक चौधरी के समधी और समस्तीपुर सांसद शांभवी चौधरी के ससुर थे. किशोर कुणाल का निधन होने के बाद एक बार बिहार का बहुचर्चित बॉबी हत्याकांड की चर्चा होने लगी। दरअसल बॉबी हत्याकांड एक ऐसा कांड था जिसमें तत्कालीन कांग्रेस शासन के मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा का सिंहासन डोल गया था। इस घटना में राजनीतिक लोगों का नाम सामने आया था लेकिन जाँच, कोर्ट में तारीख पर तारीख ने अंतिम रूप से मामला को रफा दफा कर दिया । इस कांड के फरफराते पन्ने जब -तब बिहार के राजनीतिक हलकों में धडकनों को बढ़ा देता है। इस केस को सामने लाने वाले आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल ही थे। दोषी के करीब पहुँच गए थे लेकिन सियासी दबाब में मामला दब गया। आज भी ये मामला पेंडिंग है.

पूर्व IPS किशोर कुणाल ने कब्र से निकाला था बॉबी का शव

बिहार का सबसे चर्चित मामला था- बॉबी ( उर्फ श्वेतानिशा) हत्याकांड। ऐसा केस, जिसके बारे में किसी थाने में कोई प्राथमिक सूचना भी दर्ज नहीं की गई थी । अखबारों में जब महिला की संदेहास्पद मौत की खबर आई तो आईपीएस किशोर कुणाल ने शव को कब्र से निकलवा कर जांच शुरू कर दी। ऐसी जांच हुई कि उसकी आंच राजनीतिक गलियारे तक पहुंच गई। दरअसल में 11 मई 1983 को पटना के एक दैनिक समाचार पत्र ने श्वेता निशा उर्फ बॉबी हत्या कांड की खबर प्रकाशित की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा ने भी इस केस को बारीकी से देखा। आचार्य किशोर कुणाल ने अपनी लिखी अपनी किताब में ऐसे कांडों का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि इस कांड ने जगन्नाथ मिश्रा का सिंहासन कोहोला दिया था। आपको बता दें कि भले ही बॉबी मर्डर केस को अंजाम तक नहीं पहुंचाने का मलाल किशोर कुणाल को रह गया। सरकार बचाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया था। 1980 के दशक में किशोर कुणाल पटना के एसपी बने और उसी दौरान बिहार का सबसे चर्चित बॉबी हत्याकांड हुआ. इस घटना में सबूत थे, सुराग थे, लेकिन दोषी कोई नहीं था. किशोर कुणाल ने अपनी किताब दमन तक्षकों में इस वारदात का जिक्र किया है. पटना से दिल्ली तक की सियासत में भूचाल ला देनेवाले इस हत्याकांड ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा का सिंहासन हिला दिया था.

सीबीआई आज तक बॉबी के हत्यारे को नहीं पकड़ पायी है

बिहार का बॉबी उर्फ श्वेतानिशा मर्डर केस पर किशोर कुणाल ने अपनी किताब में एक दोहा लिखा- समरथ को नहिं दोष गुसाईं.किशोर कुणाल ने अपनी किताब में लिखा है कि इस केस में उनके कुछ सीनियर अफसरों ने उनके साथ ऐसा बर्ताव किया, मानो सच का पता लगाना अधर्म हो. उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा ने उन्हें फोन किया और पूछा कि बॉबी कांड का क्या मामला है. इस पर किशोर कुणाल ने उन्हें जवाब दिया कि आप चरित्र के मामले में अच्छे हैं, सर इसमें पड़िएगा तो इतनी तेज आग है कि हाथ जल जाएंगे. इसके बाद तत्कालीन सीएम ने फोन रख दिया. इस फोन के चंद घंटों के बाद यह केस सीबीआई को दे दी गयी. सीबीआई आज तक बॉबी के हत्यारे को नहीं पकड़ पायी है.

कब्र से ही लाश निकाला , कातिलों के काफी करीब पहुंच चुके थे किशोर कुणाल

बॉबी मर्डर केस के रिकार्ड के मुताबिक कोर्ट को दिए बयान में बॉबी की कथित मां ने बताया था कि बॉबी को कब और किसने जहर दिया था. बॉबी की मां ने बताया था कि घटना के दिन बॉबी घर से निकलने के बाद देर रात घर आयी थी. उसके पेट में दर्द था. खून की उल्टी भी की थी. उसे पटना मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. इलाज कराने के बाद उसे घर लाया गया तो बाद में बॉबी की मौत हो गयी थी. मौत के बाद दो रिपोर्ट बनायी गयी थी. एक में मौत का समय 4 बजे और कारण इंटरनल ब्लीडिंग बताया गया था. दूसरी रिपोर्ट में मौत का समय 4:30 बजे और कारण हार्ट अटैक बताया गया था. इस तरह की रिपोर्ट देख किशोर कुणाल को शक हुआ तो उन्होंने शव का पोस्टमार्टम कराने की सोची. किशोर कुणाल की जाँच से ये बात साफ हो गई कि श्वेतानिशा उर्फ बॉबी की मौत हादसा या खुदकुशी नहीं बल्कि हत्या थी.

कौन थी बॉबी जिसकी हत्या ने सरकार को बैक फुट पर ला दिया था

दरअसल 11 मई 1983 को पटना के दैनिक समाचार पत्र ( प्रदीप और आज में एक खबर प्रकाशित हुई थी. बिहार विधानसभा में टाइपिस्ट का काम करने वाली लड़की श्वेतानिशा की मौत हो जाती है. यह लड़की कोई और नहीं बल्कि तत्कालीन विधान परिषद की सभापति सरोज दास की गोद ली हुई बेटी श्वेता निशा थी. जिसका घर का नाम बेबी था। घटना के बाद मीडिया में इसे बॉबी नाम दे दिया गया था और घटना बॉबी हत्याकांड से चर्चित हो गयी. कहा जाता है कि बॉबी खूबसूरत थी और उनकी राजनीतिक लोगों तक पहुँच हुआ करती थी। बताया गया था कि इस हत्या में तत्कालीन सरकार के कई विधायक समेत एक कद्दावर नेता भी शामिल था. कहा जाता है कि तत्कालीन सीएम जगन्नाथ मिश्रा पर दो मंत्रियों और कई विधायकों ने सीबीआई जांच का दबाव बनाया था और यहां तक की सरकार गिराने की भी धमकी दी गई. सत्ता सिंहासन को डोलता देख तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा ने अंततः जांच सीबीआई को सौंप दी. जब जांच हुई और जैसा की होता है , आखिर में सीबीआई से आरोपियों को अभयदान मिल गया. जांच में आरोपी दोषमुक्त करार दिए गए, लेकिन आज भी जब इस हत्याकांड की चर्चा होती है तो किशोर कुणाल के बारे में लोग भी कहते हैं कि पटना में कुणाल साहब जैसा एसपी फिर नहीं देखा, जिसने कब्र से ही लाश निकाल ली थी.

जानिए कौन थे पूर्व IPS, आचार्य किशोर कुणाल ?

10 अगस्त 1950 को किशोर कुणाल का जन्म मुजफ्फरपुर के बरुराज गांव में हुआ था. यहीं से उन्होंने स्कूली शिक्षा ग्रहण की थी. उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से इतिहास और संस्कृत में ग्रेजुएशन किया था. 1972 में किशोर कुणाल गुजरात कैडर से आईपीएस अधिकारी बने. इसके बाद वे पुलिस अधीक्षक बने. 1978 में किशोर कुणाल को अहमदाबाद में पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया. 1983 में प्रमोशन मिलने के बाद उन्हें पटना में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात किया गया. 1990 से 1994 तक किशोर कुणाल ने गृह मंत्रालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी पद पर काम किया।

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