भारतीय भाषा दिवस पर शिक्षकों और छात्रों का हुआ सम्मान

Teachers and students honored on Indian Language Day

नई दिल्ली।

इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) एवं हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में डॉ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केन्द्र, नई दिल्ली में भव्य रूप से भारतीय भाषा दिवस 2024 का आयोजन किया गया। इस विशेष कार्यक्रम में मेधावी छात्र एवं भाषा गौरव शिक्षक सम्मान समारोह का भी आयोजन किया गया, जिसमें 1,000 से अधिक छात्रों और शिक्षकों ने हिस्सा लिया.

इस आयोजन में भाषाई विविधता और शिक्षा क्षेत्र में योगदान देने वाले शिक्षकों एवं छात्रों को उनकी विशिष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी थे, जबकि विशिष्ट अतिथि प्रो. राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी थे. इस अवसर पर हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी के अध्यक्ष सुधाकर पाठक, वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष अनिल शर्मा जोशी, डॉ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केन्द्र के निदेशक आकाश पाटिल और आईजीएनसीए के राजभाषा निदेशक डॉ. अजीत कुमार भी उपस्थित रहे. दिन भर चले इस कार्यक्रम में कई सत्र आयोजित हुए, जिनमें भाषा और संस्कृति के महत्त्व पर गहन विचार-विमर्श हुआ और साहित्य, कला तथा समाज में भाषाओं की भूमिका पर जोर दिया गया.सुधाकर पाठक ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया. आकाश पाटिल ने भी इस अवसर पर अपने विचार साझा किए. कार्यक्रम का संचालन आईजीएनसीए के राजभाषा विभाग के निदेशक डॉ. अजित कुमार ने किया.

भारतीय भाषाओं और मूल्यों को अपनाना जरूरी है- डॉ. सच्चिदानंद जोशी

इस मौके पर डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने स्कूली बच्चों को सम्बोधित करते हुए एकात्मकता को आकार देने और सांस्कृतिक सम्बंधों को बढ़ावा देने में भारतीय भाषाओं के महत्त्व पर जोर दिया. दृष्टिकोण को व्यापक बनाने और रचनात्मकता को विकसित करने में भाषाई विविधता की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने छात्रों से कई भारतीय भाषाओं को सीखने, पढ़ने और लिखने का आग्रह किया. साथ ही, डॉ. जोशी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की रचनात्मकता और बौद्धिक शक्ति में बाधा डालने की क्षमता को देखते हुए, इस पर अत्यधिक निर्भर होने को लेकर भी आगाह किया. हालांकि उन्होंने कल्पनाशीलता को प्रभावित किए बिना ज्ञान का विस्तार करने के एक उपकरण के रूप में एआई के विवेकपूर्ण उपयोग को प्रोत्साहित भी किया. उन्होंने इसे ‘दोधारी तलवार’ कहा और रचनात्मक गतिविधियों में इसके साथ संतुलन बिठाने आग्रह किया. उन्होंने नए सांस्कृतिक गौरव और आत्मनिर्भरता की वकालत करते हुए, लंबे समय से चली आ रही औपनिवेशिक मानसिकता पर भी बात की. डॉ. जोशी ने युवा पीढ़ी से भारतीय भाषाओं और मूल्यों को अपनाने का आग्रह किया.

बोलियों को संरक्षित करना महत्त्वपूर्ण है – प्रो. राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी

प्रो. राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी ने भारत की बोलियों, जिनमें पूर्ण विकसित भाषाओं के रूप में ढलने की क्षमता है, को संरक्षित करने के महत्त्व पर जोर दिया. उन्होंने बल देकर कहा कि सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखने और भाषाई विरासत को समृद्ध करने के लिए इन बोलियों को संरक्षित करना महत्त्वपूर्ण है.

बच्चों को भारतीय भाषाओं पर गर्व करने की आवश्यकता- डॉ. अजित कुमार

डॉ. अजित कुमार ने बच्चों को भारतीय भाषाओं पर गर्व करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और शिक्षकों से आग्रह किया कि वे स्कूली बच्चों को भारतीय भाषाओं में सीखने, पढ़ने और लिखने के लिए सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करें. उन्होंने यह भी बताया कि आईजीएनसीए वर्तमान में बोलियों पर केंद्रित परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिसका लक्ष्य उन्हें पूरी तरह से मान्यताप्राप्त भाषाओं के रूप में विकसित करना है.

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