नई दिल्ली।
आईजीएनसीए द्वारा आयोजित पांचवें नदी उत्सव की औपचारिक शुरुआत 19 सितंबर को ‘रिवर्स इन रिवरः मेकिंग ऑफ ए लाइफलाइन’ थीम के साथ हुई. यह उत्सव 21 सितंबर तक चलेगा.
उत्सव की शुरूआत परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, पर्यावरण कार्यकर्ता हर्षिल की पूर्व प्रधान बसंती नेगी, ढोलकिया फाउंडेशन के अध्यक्ष सावजी ढोलकिया और इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी द्वारा दीप प्रज्वलन से हुई. दीप प्रज्वलन के बाद, उद्घाटन सत्र में नदियों की स्थिति से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई. कार्यक्रम के दौरान नदी उत्सव के लोगों को जारी किया गया और चौथे नदी उत्सव में प्रस्तुत किए गए शोध पत्रों के संकलन वाली पुस्तिका ‘थैंकिंग ऑफ द रिवर’ का भी लोकार्पण किया गया. कार्यक्रम की एक विशेषता यह भी रही कि अतिथियों और कलाकारों को जो स्मृति चिह्न (मेमेंटो) दिए गए, वे मानव निर्मित न होकर, ड्रिफ्ट वुड हैं यानी नदियों में बहने वाली वो लकड़ियां, जो पानी के प्रवाह से कट कर एक सुंदर आकार ग्रहण कर लेती हैं.
नदियों के लिए अब हमें मुखर होना होगा- स्वामी चिदानंद सरस्वती
उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि स्वामी चिदानंद सरस्वती ने वर्तमान में नदियों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज हमारे समाज में सबसे बड़ा संकट सोच का है. पानी का संकट हम सबका संकट है और समाधान भी हम सबको करना है. उन्होंने कहा कि एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) स्पीड दे सकता है, लेकिन दिशा कौन देगा? दिशा आरआई यानी ऋषियों का इंटेलिजेंस देगा. हमें एआई से आरआई की ओर आना होगा। भारत को भारत की दृष्टि से देखना होगा। भारत की प्रोफाइल विश्व में बदल रही है, अब हमें अपनी प्रोफाइल बदलनी होगी. उन्होंने कहा कि यमुना भी सरस्वती की तरह लुप्त न हो जाए और इसके बारे में हमें सिर्फ किताबों में न पढ़ना पड़े, इसके लिए हमें जागरूक होना होगा. नदी मौन हो गई है, अब नदी के लिए हमें मुखर होना पड़ेगा.
सरकार सब कुछ नहीं कर सकती, नदियों के लिए हमें स्वयं करना होगा- बसंती नेगी
बसंती देवी ने कहा, सरकार सब कुछ नहीं कर सकती, हमें स्वयं करना पड़ेगा. नदियों में कूड़ा और मल मत डालो. अपने घर को ज़रूर साफ रखो, लेकिन मां (नदी) को गंदा मत करो. वहीं सावजी ढोलकिया ने कहा कि नदी का जो स्वरूप था, पढ़े-लिखे होने के बावजूद, हमने उसको बिगाड़ कर रख दिया. हमने प्रकृति को नष्ट किया, तो प्रकृति हमें दंड दे रही है. उन्होंने बताया कि बेहद कम खर्च में उन्होंने 35 किलोमीटर लंबी एक नदी को पुनर्जीवित किया, जो नष्ट हो गई थी. इसके अलावा, उन्होंने 10 से 100 एकड़ के लगभग 150 सरोवरों का निर्माण कराया. उन्होंने कहा, जो खुशी नदी का काम करके मिली, वह और किसी काम में नहीं मिली. अगर हम अपनी नदियों को बचा लें, तो नदियों की बदौलत भारत विश्वगुरु बन जाएगा.
नदी महोत्सव के पहले दिन की खास झलकियां
तीन दिवसीय नदी उत्सव के पहले दिन नदी पर आधारित श्री प्रकाश के फोटो की प्रदर्शनी, स्वरूप भट्टाचार्य की नावों पर आधारित अनूठी प्रदर्शनी, स्कूलों छात्रों द्वारा नदियों पर बनाई गई पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया. इसके अलावा, मटका पेंटिंग वर्कशॉप और बच्चों के लिए ‘नदी और मैं’ कार्याशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के अंतिम चरण में गुरु कस्तुरी पटनायक और उनकी टीम ने ओडिसी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.