Delhi News : पारिस्थितिकी और पर्यावरण के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने तथा उन्हें संवेदनशील बनाने के लिए IGNCA ने दिल्ली में 22 से 24 सितंबर तक नदी उत्सव का आयोजन किया है. यह IGNCA द्वारा आयोजित किया जाने वाला चौथा नदी उत्सव है, जिसमें देश भर के कलाकार भाग ले रहे हैं.
भारतीय संस्कृति में नदियों का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है. हमारे यहां नदियां न केवल पावन और पूज्य मानी जाती हैं, बल्कि करोड़ों भारतीयों के भौतिक जीवन का भी आधार हैं. नदियों के किनारे सभ्यताएं विकसित हुई हैं. भारत के अनगिनत नगर, गांव, कस्बे नदियों के किनारे बसे हैं, उनकी पहचान नदियों से है. भारतीय समाज-जीवन में नदियों के महत्त्व को देखते हुए कला और संस्कृति को समर्पित संस्थान इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) पिछले कुछ वर्ष से ‘नदी उत्सव’ का भव्यतापूर्ण आयोजन कर रहा है. लोगों के बीच पारिस्थितिकी और पर्यावरण के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने तथा उन्हें संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से आईजीएनसीए यह कार्यक्रम आयोजित कर रहा है.
तीन दिनों के इस कार्यक्रम में कई आयोजन होंगे, जिनमें पर्यावरणविदों व विभिन्न विषयों के विद्वानों के साथ विद्वतापूर्ण चर्चाएं, फिल्मों की स्क्रीनिंग, प्रख्यात कलाकारों की प्रस्तुतियां, कठपुतली शो, विभिन्न पुस्तकों पर चर्चा सहित विविध प्रकार के कार्यक्रम शामिल हैं. इस आयोजन के मुख्य अतिथि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष माननीय जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, सम्माननीय अतिथि आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी तथा परमार्थ निकेतन के प्रमुख व आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिदानंद सरस्वती तथा विशिष्ट अतिथि पर्यावरणविद् ‘पद्मभूषण’ डॉ. अनिल प्रकाश जोशी हैं. कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक आईजीएनसीए के अध्यक्ष ‘पद्मश्री’ रामबहादुर राय और संरक्षक आईजीएनसीए के संरक्षक डॉ. सच्चिदानंद जोशी हैं.
अब तक किन नदियों के किनारे नदी उत्सव हुआ है ?
आईजीएनसीए द्वारा नदी उत्सव की शुरुआत 2018 में नासिक (महाराष्ट्र) से की गई थी, जो गोदावरी नदी के किनारे बसा है. दूसरे ‘नदी उत्सव’ का आयोजन कृष्णा नदी के किनारे बसे विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) में हुआ था. ‘नदी उत्सव’ का तीसरा आयोजन गंगा के किनारे बसे मुंगेर (बिहार) में हुआ था. इसी कड़ी में चौथे ‘नदी उत्सव’ का आयोजन यमुना नदी के किनारे बसे दिल्ली में आईजीएनसीए के प्रांगण में 22 सितंबर से 24 सितंबर तक किया जा रहा है. इस कार्यक्रम का आयोजन आईजीएनसीए के राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण अभियान (एनएमसीएम) और जनपद सम्पदा विभाग द्वारा किया जा रहा है.
नदी उत्सव में 18 फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी
इस तीन दिवसीय आयोजन का प्रारम्भ 22 सितंबर को आईजीएनसीए के कॉन्फ्रेंस हॉल उमंग में किया गया. ‘नदी उत्सव’ आयोजन में प्राचीन ग्रंथों में नदियों का उल्लेख, नदियों के किनारे सांस्कृतिक विरासत, लोक और सांस्कृतिक परम्परा में नदियां सहित कई विषयों पर चर्चा होगी. इन तीन दिनों में 18 डॉक्यूमेंट्री फिल्मों की स्क्रीनिंग भी की जाएगी, जिनमें से 6 फिल्मों का निर्माण आईजीएनसीए द्वारा किया गया है. कठपुतली शो के अंतर्गत, पूरण भट द्वारा ‘द यमुना गाथा’ का प्रदर्शन शामिल है. यह ‘नदी उत्सव’ अपनी पारम्परिक जल चेतना के दस्तावेजीकरण का एक विनम्र प्रयास है. आधुनिकता की दौड़ में लोग अपनी नदियों को धन्यवाद कहना भूल गए हैं. यह आयोजन नदियों से जुड़ाव को याद करने का एक उपक्रम है. तीन दिनों के इस आयोजन के दौरान एक पुस्तक मेला का आयोजन भी शामिल है, जिनमें विभिन्न प्रकाशन संस्थान नदियों और पर्यावरण से जुड़ी अपनी किताबों के साथ उपस्थित होंगे.
नदी उत्सव में 5 डॉक्यूमेंट्री फिल्में पुरस्कृत की जाएंगी
आयोजन में जो 18 डॉक्यूमेंट्री फिल्में दिखाई जाएंगी, उनमें से पांच फिल्मों को पुरस्कृत करने की भी योजना है. डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्टिवल के लिए भारत के लगभग सभी राज्यों से फिल्मकारों ने अपनी फिल्में भेजी थीं, जिनमें से 12 का चयन स्क्रीनिंग के लिए किया गया. इन फिल्मों का चयन पांच सदस्यीय जूरी ने किया. इनमें पूर्वोत्तर भारत, दक्षिण भारत, कश्मीर, उत्तराखंड, राजस्थान आदि प्रदेशों की फिल्में शामिल हैं. हर फिल्म के बाद चर्चा सत्र का भी आयोजन होगा, जिसमें फिल्म के निर्देशक भी हिस्सा लेंगे. स्क्रीनिंग का शुभारम्भ फिल्म ‘महानदी’ करने की योजना है. 60 मिनट की इस फिल्म का निर्देशन जुबनाश्व मिश्रा ने किया है.
नदियों के घाटों पर आधारित होगी प्रदर्शनी
नदी उत्सव आयोजन में तीन प्रकार की प्रदर्शनियां भी लगाई जाएंगी. ‘सांझी’ प्रदर्शनी देश के 16 घाटों पर आधारित होगी. इसके अलावा, नदी सभ्यता से जुड़ी फोटोग्राफी प्रदर्शनी और दिल्ली के स्कूली बच्चों द्वारा नदियों पर बनाई पेंटिंग की प्रदर्शनी भी आयोजित होगी. नदियों को लेकर स्कूली बच्चे क्या सोचते हैं, इसका प्रतिबिम्ब इन पेटिंगों में दिखाई देगा. सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बिहार की प्रसिद्ध लोकगायिका चंदन तिवारी द्वारा गायन और भोपाल की श्वेता देवेंद्र व उनकी टीम द्वारा ‘नर्मदा स्तुति’ तथा ‘दशावतारम्’ के साथ-साथ अन्य कई प्रस्तुतियां शामिल हैं.
दिल्ली : डॉ. निशा सिंह