कुछ देर बाद आएगा अयोध्या विध्वंस मामले पर फैसला

डॉ. निशा कुमारी

कुछ देर बाद अयोध्या में ढांचा विध्वंस के 28 साल पुराने मामले में सीबीआई की विशेष अदालत फैसले सुनाएगी. छह दिसम्बर, 1992 को विवादित ढांचा ढहाने के कथित षड्यंत्र, भड़काऊ भाषण और पत्रकारों पर हमले के 49 मुकदमों में सुनवाई होगी. इन बीते 28 वर्षों में 49 अभियुक्तों में से 17 की मृत्यु हो चुकी है. लगभग पचास गवाह भी दुनिया से विदा हो चुके हैं. पूरी दुनिया की निगाहें लखनऊ की विशेष सीबीआई कोर्ट के इस आने वाले फैसले पर लगी हुई है.

30 मई, 2017 को सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) ने अभियुक्त लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा व विष्णु हरि डालमिया पर आईपीसी की धारा 120 बी (साजिश रचने) का आरोप लगाया. लिहाजा इन सभी अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 149, 153,, 153बी व 505 (1)बी के साथ ही आईपीसी की धारा 120 बी के तहत भी मुकदमे की कार्यवाही शुरू हुई. इस तरह 49 में कुल 32 अभियुक्तों के मुकदमे की कार्यवाही शुरू हुई क्योंकि तब तक 17 अभियुक्तों की मौत हो चुकी थी.

1 सितंबर, 2020 को दोनों पक्षों की मौखिक बहस पूरी हुई और 16 सितंबर, 2020 को अदालत ने 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाने का आदेश जारी किया.


ये हैं 32 अभियुक्त

लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश वर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण सिंह, कमलेश्वर त्रिपाठी, रामचंद्र, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमरनाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, स्वामी साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ व धर्मेंद्र सिंह गुर्जर.

क्या है यह अहम मामला

केस नंबर 197
6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा पूरी तरह ध्वस्त होने के बाद राम जन्मभूमि, अयोध्या के थाना प्रभारी पीएन शुक्ल ने शाम पांच बजकर 15 मिनट पर लाखों अज्ञात कार सेवकों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा कायम किया. इसमें बाबरी मस्जिद गिराने का षड्यंत्र, मारपीट और डकैती शामिल है.

केस नंबर 198
6 दिसम्बर, 1992 को विवादित ढांचे के सम्पूर्ण विध्वंस के लगभग 10 मिनट बाद एक अन्य पुलिस अधिकारी गंगा प्रसाद तिवारी ने आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा कायम कराया. उन पर राम कथाकुंज सभा मंच से धार्मिक उन्माद भड़काने वाला भाषण देकर ढांचा गिरवाने का आरोप लगाया. इसमें अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विष्णु हरि डालमिया, विनय कटियार, उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा नामजद आरोपी बनाए गए. भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए ,153बी, 505, 147 और 149 के तहत यह मुकदमा रायबरेली में चला. बाद में इसे लखनऊ सीबीआई कोर्ट में चल रहे मुकदमे में शामिल कर लिया गया.

विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद अयोध्या में विवादित स्थल पर बनाए गये अस्थायी राम मंदिर भी मुकदमें के आधार पर पुलिस ने 8 दिसम्बर, 1992 को आडवाणी व अन्य नेताओं को गिरफ्तार किया था. शांति व्यवस्था की दृष्टि से उन्हें ललितपुर में माताटीला बांध के गेस्ट हउस में रखा गया. इस मुकदमे की जांच उत्तर प्रदेश पुलिस की सीआईडी क्राइम ब्रान्च ने की. सीआईडी ने फरवरी 1993 में आठों अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी. मुकदमे के ट्रायल के लिए ललितपुर में विशेष अदालत स्थापित की गई. बाद में आवागमन की सुविधा के लिए यह अदालत रायबरेली ट्रांसफर कर दी गई.

पत्रकारों पर हमले के मामले
इन मामलों के अलावा पत्रकारों और फोटोग्राफरों ने मारपीट, कैमरा तोड़ने और छीनने आदि के 47 मुकदमे अलग से कायम कराए. ये मामले लखनऊ सीबीआई कोर्ट से जुड़े रहे. सरकार ने बाद में सभी केस सीबीआई को जांच के लिए दे दिए. सीबीआई ने रायबरेली में चल रहे केस नंबर 198 की दोबारा जाँच की अनुमति अदालत से ली. उत्तर प्रदेश सरकार ने 9 सितम्बर, 1993 को नियमानुसार हाईकोर्ट के परामर्श से 48 मुकदमों की सुनवाई के लिए लखनऊ में विशेष अदालत के गठन की अधिसूचना जारी की. लेकिन इस अधिसूचना में केस नंबर 198 शामिल नहीं था, जिसका ट्रायल रायबरेली की स्पेशल कोर्ट में चल रहा था.

सीबीआई के अनुरोध पर बाद में 8 अक्टूबर, 1993 को राज्य सरकार ने एक संशोधित अधिसूचना जारी कर केस नंबर 198 को लखनऊ स्पेशल कोर्ट के क्षेत्राधिकार में जोड़ दिया. लेकिन राज्य सरकार ने इसके लिए नियमानुसार हाईकोर्ट से परामर्श नहीं किया. बाद में आडवाणी और अन्य अभियुक्तों ने राज्य सरकार की इस तकनीकी त्रुटि का लाभ हाईकोर्ट में लिया.

कानूनी जंग में ये रहीं अहम तारीखें

20 मई 2010
दस साल बाद 20 मई, 2010 को हाईकोर्ट के जस्टिस एके सिंह ने सीबीआई की पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए केस नम्बर 198 में आडवाणी, कल्याण सिंह और ठाकरे समेत 21 अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा स्थगित करने के स्पेशल कोर्ट लखनऊ के आदेश को सही ठहराया. हाईकोर्ट के आदेश के बाद 17 अगस्त, 2010 को लखनऊ कोर्ट ने जीवित बचे अभियुक्तों को तलब कर उनके खिलाफ आरोप निर्धारित किए और 17 साल बाद ट्रायल शुरू हुआ.

9 फरवरी 2011
सीबीआई ने 9 फरवरी, 2011 को सुप्रीम कोर्ट में अपील करके मांग की कि हाईकोर्ट के इस आदेश को खारिज करते हुए आडवाणी समेत 21 अभियुक्तों के खिलाफ विवादित ढांचा गिराने के षड्यंत्र एवं अन्य धाराओं में मुकदमा चलाया जाए.

19 अप्रैल 2017
19 अप्रैल, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में का आदेश पारित कर रायबरेली की विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही को लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) में स्थानांतरित कर दिया. साथ ही इस मामले के अभियुक्तों पर आपराधिक षडयंत्र के तहत भी आरोप तय करने का आदेश दिया. साथ ही पूर्व में आरोप के स्तर पर डिस्चार्ज किये गये अभियुक्तों के खिलाफ भी मुकदमा चलाने का आदेश दिया.

18 मई 2017
18 मई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के अनुपालन में सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) ने डिस्चार्ज हो चुके 13 अभियुक्तों में छह अभियुक्तों को समन के जरिए तलब किया, क्योंकि इनमें छह अभियुक्तों की मौत हो चुकी थी. वहीं राज्यपाल होने के नाते कल्याण सिंह पर आरोप नहीं तय हो सकता था, लिहाजा उन्हें तलब नहीं किया गया था.

30 मई 2017
30 मई, 2017 को सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) ने अभियुक्त , लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा व विष्णु हरि डालमिया पर आईपीसी की धारा 120 बी (साजिश रचने) का आरोप लगाया. लिहाजा इन सभी अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 149, 153,, 153बी व 505 (1) बी के साथ ही आईपीसी की धारा 120 बी के तहत भी मुकदमे की कार्यवाही शुरू हुई.

इसके साथ ही महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, चंपत राय बंसल, धर्मदास व डॉ. सतीश प्रधान पर भी आईपीसी की धारा 147, 149, 153,, 153बी, 295, 295, व 505 (1) बी के साथ ही धारा 120 बी के तहत भी आरोप तय हुआ. इससे पहले सभी अभियुक्तों की डिस्चार्ज अर्जी खारिज हो गई थी. इसके बाद 27 सितंबर, 2019 को कल्याण सिंह पर भी आईपीसी की धारा 120 बी, 153,, 153 बी, 295, 295, व 505 के तहत आरोप तय हुआ. इस तरह 49 में कुल 32 अभियुक्तों के मुकदमे की कार्यवाही शुरू हो गई, क्योंकि तब तक 17 अभियुक्तों की मौत हो चुकी थी.

31 मई 2017
31 मई, 2017 से इस मामले में अभियोजन की कार्यवाही शुरू हुई.

13 मार्च 2020
13 मार्च, 2020 को सीबीआई की कार्यवाही की प्रक्रिया व बचाव पक्ष की जिरह भी पूरी हुई, 351 वाह्य व 600 दस्तावेजी साक्ष्य सौंपे.

4 जून 2020
4 जून, 2020 से अभियुक्तों का सीआरपीसी की धारा 313 के तहत बयान दर्ज होना शुरू हुआ.

28 जुलाई 2020
28 जुलाई, 2020 को 32 में 31 अभियुक्तों के सीआरपीसी की धारा 313 के तहत बयान दर्ज होने की कार्यवाही पूरी हुई, जबकि एक अभियुक्त ओम प्रकाश पांडेय फरार घोषित हुए.
13 अगस्त 2020
13 अगस्त, 2020 को अभियुक्त ओम प्रकाश पांडेय का आत्मसमर्पण, जमानत पर रिहा, बयान दर्ज. इधर, कल्याण सिंह का सफाई साक्ष्य दाखिल.

14 अगस्त 2020
14 अगस्त, 2020 को सफाई साक्ष्य की प्रक्रिया पूरी मानते हुए विशेष अदालत ने सीबीआई को लिखित बहस दाखिल करने का आदेश दिया.

18 अगस्त 2020
18 अगस्त, 2020 को सीबीआई ने 400 पन्नों की लिखित बहस दाखिल की. बहस की प्रति बचाव पक्ष को भी मुहैया कराई गई.

24 अगस्त 2020
24 अगस्त, 2020 को अभियोजन के दो गवाह हाजी महबूब अहमद व सैयद अखलाक ने लिखित बहस दाखिल करने की अर्जी दी.

25 अगस्त 2020
25 अगस्त, 2020 को दोनों अर्जी खारिज.

26 अगस्त 2020
26 अगस्त, 2020 को बचाव पक्ष को लिखित बहस दाखिल करने का अंतिम मौका.

31 अगस्त 2020
31 अगस्त, 2020 को सभी अभियुक्तों की ओर से लिखित बहस दाखिल. बहस की प्रति अभियोजन को भी मुहैया कराई गई.

1 सितंबर 2020
1 सितंबर, 2020 को दोनों पक्षों की मौखिक बहस भी पूरी.

16 सितंबर 2020
16 सितंबर, 2020 को अदालत ने 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाने का आदेश जारी किया.

Jetline

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